20 जुलाई 2011
नई दिल्ली। पिछले डेढ़ महीने से राजधानी दिल्ली में हर रोज औसतन सात बच्चे गायब हो जाते हैं। इनमें से अधिकतर प्रवासी परिवारों के स्कूल न जाने वाले बच्चे हैं।
बच्चों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन बचपन बचाओ आंदोलन द्वारा मुहैया कराई गई क्षेत्रीय एकीकृत पुलिस नेटवर्क की संपादित रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। इस रिपोर्ट के अनुसार, 1 जून 2011 से 18 जुलाई तक 331 बच्चे गायब हो चुके हैं।
संगठन के कैलाश सत्यार्थी ने बताया, "इससे ज्यादा स्तब्ध करने वाला तथ्य है गायब बच्चों की बरामदगी दर।"
रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष अब तक 921 बच्चों के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है। गायब बच्चों में अधिकतर 12-15 आयु वर्ग के हैं।
सत्यार्थी ने बताया कि इसमें से केवल 315 का ही पता चल पाया है। यह पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न है।
बचपन बचाओ आंदोलन के अनुसार जून में सर्वाधिक संख्या में बच्चे गायब हुए। यह संख्या 183 थी। बचपन बचाओ आंदोलन के मुताबिक जून-जुलाई में बच्चों के गायब होने का कारण इस दौरान यहां से बाल मजदूरों का दूसरे राज्यों में भेजा जाना है।
संगठन के कार्यकर्ता ने बताया कि गायब बच्चे निम्न सामाजिक आर्थिक वर्ग से संबंधित हैं और नरेला, बवाना, खानपुर आदि औद्योगिक इलाके हैं।
कार्यकर्ता ने बताया कि अध्ययन के बाद यह पाया गया है कि अधिकतर बच्चे प्रवासी परिवारों से संबंधित हैं, जो यहां रोजगार के लिए आए हैं। बच्चों के गायब होने के पीछे एक प्रमुख कारण सस्ते श्रमिक उपलब्ध कराना है।
अमन विहार इलाके की घटना का जिक्र करते हुए कार्यकर्ता ने बताया कि यहां बिहार से घरेलू काम करने आई महिला का पुत्र गायब हो गया। यहां वह स्कूल नहीं जाता था, जबकि बिहार में वह स्कूल जाता था।
गायब बच्चों की बरामदगी में असफलता पर कड़ा रुख अपनाते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने पुलिस प्रमुख को विशेष कार्यबल बनाने का निर्देश दिया था, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इन घटनाओं के पीछे किसी संगठित गिरोह का हाथ तो नहीं है?
दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर, जिसके अनुसार पिछले वर्ष गायब 500 बच्चे बरामद नहीं हुए हैं, मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायाधीश संजीव खन्ना की खंडपीठ ने पुलिस की खिंचाई की थी।
इस साल जनवरी माह में 89, फरवरी में 104, मार्च में 132, अप्रैल में 127, मई में 130, जून में 183 और जुलाई की 18 तारीख तक 157 बच्चे गायब हो चुके हैं।
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