नई दिल्ली, 24 फरवरी
होली नजदीक आ रही है और इसके साथ ही भांग की ठंडाई और भांग के पकोड़ों का स्वाद भी जल्दी ही मिलने वाला है। बहुत कम लोग ही भांग के स्वास्थ्य के लिए फायदों को जानते हैं। चिकित्सा भाषा में कैनाबिस सटाइवा कही जाने वाली भांग का आयुर्वेदिक उपचार में बहुत इस्तेमाल होता है।
एक पंचकर्म विशेषज्ञ गीतांजली अरोड़ा कहती हैं, "रोग के लक्ष्णों और कारणों के आधार पर आयुर्वेद में भांग का अलग-अलग इस्तेमाल होता है।"
कई प्रकार के रोगों जैसे दर्द, मतली और उल्टी के इलाज में इसका उपयोग किया जाता है। मधुमेह के कारण वजन में होने वाली कमी और तंत्रिकातंत्र संबंधी रोगों के इलाज में भी इसका इस्तेमाल होता है। यदि सही मात्रा में लिया जाए तो इससे बुखार और पेचिश के इलाज, तुरंत पाचन और भूख बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
गठिया, अवसाद और चिंता के इलाज के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है जबकि त्वचा रोगों के उपचार में भी यह लाभदायक है।
आयुर्वेद विशेषज्ञ विपिन शर्मा ने बताया, "कई लोग त्वचा के रूखी और खुरदुरी होने की शिकायत लेकर आते हैं और यह पाया गया है कि भांग की ताजा पत्तियों का लेप लगाने से त्वचा ठीक हो जाती है।"
देश के कई हिस्सों में लोग भोजन से पहले भांग खाते हैं। इन लोगों का मानना है कि इससे न केवल भोजन का स्वाद बढ़ जाता है बल्कि इससे पाचन भी बेहतर होता है।
भारत में 1000 ईसा पूर्व भांग का एक नशीले पदार्थ के रूप में इस्तेमाल होता था और अथर्ववेद में इसे चिंता दूर करने वाली एक जड़ी-बूटी बताया गया है।
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