12 जून 2012
नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा आयोग 12 जून को बाल श्रम विरोधी विश्व दिवस के रूप में मना रहा है। इस वर्ष इस दिवस का थीम है 'बच्चों के लिए न्याय : बाल श्रम समाप्त करो।' इस दिवस को मनाने का उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा की आवश्यकता को उजागर करना और बाल श्रम तथा विभिन्न रूपों में बच्चों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघनों को समाप्त करना है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने विभिन्न क्षेत्रों में बाल श्रम के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए वर्ष 2002 में विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस की शुरुआत की थी। संगठन के अनुमानों के अनुसार विश्व भर में 21 करोड़ 80 लाख बाल श्रमिक हैं।
भारत सरकार की 2001 की जनगणना के अनुसार एक करोड़ 27 लाख बच्चे बाल श्रम में लगे हुए हैं और यह संख्या भारत के कुल श्रमिकों की संख्या के 3.6 प्रतिशत के बराबर है। समय से पहले श्रम के कार्य में लग जाने से वे उस शिक्षा और प्रशिक्षण से वंचित रह जाते हैं, जो उनके परिवारों और समुदायों को गरीबी के चक्र से बाहर निकालने में मददगार हो सकते हैं।
बाल श्रमिकों के रूप में वे शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और नैतिक यातना से भी प्रभावित होते हैं, जिससे उनकी जीवन पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है।
बाल श्रम विरोधी विश्व दिवस पर आयोजित होने वाले समारोह में महिला और बाल विकास सचिव नीला गंगाधरन मुख्य अतिथि होंगी। राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा आयोग की अध्यक्ष प्रोफेसर शांता सिन्हा और केंद्रीय श्रम मंत्रालय के पूर्व प्रधान सिचव तथा वर्तमान में पूवरेत्तर प्रकोष्ठ के विशेष सलाहकार डॉ.एल.डी. मिश्रा समारोह को सम्बोधित करेंगे।
केंद्र सरकार के अन्य मंत्रालयों, केंद्रीय स्वायत्त शासी संगठनों, राष्ट्रीय आयोगों, राज्य सरकार के विभागों, राज्यों के बाल अधिकार सुरक्षा आयोगों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, अंतर-सरकारी संगठनों और बाल श्रम उन्मूलन के कार्य में लगे गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि भी समारोह में भाग लेंगे।
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