इस दिन सुबह से लोगों मे बडा उत्साह होता है नये नये व्स्त्र धारण करके एक दूसरे के घर मिठाइया पहुचाते है। रात को दीपो की पंक्तियों से घर को सजाते है और बच्चे तथा बडे लोग पटाखे इत्यादि चला कर खुशी का इजिहार करते है। इस दिन लक्ष्मी पूजन का बडा ही महत्व है। इस वर्ष दिवाली 26 अक्तूबर 2011 को दिन बुधबार को मनाई जायेगी पूजन का समय एवम शास्त्रोक्त विधान अलग से दिया जा रहा है सभी जन इसका लाभ उठायें और अपने जीवन मे लक्ष्मी के आगमन का मार्ग प्रशस्त करें मेरा प्रतक्ष्य अनुभव है कि जो भी व्यक्ति इस शास्त्रोक्त विधि से लक्ष्मी जई की पूजन 26 अक्तूबर के रात्रि मे विधि विधान से करेगा वह अवश्य ही आने वाले समय मे किसी न किसी रूप मे लाभान्वित होगा।
कहा जाता है कि इस दिन लक्ष्मी जी रात्रि के समय भक्तो के घरॊं मे विचरण करती हैं इस लिये अपने,मकानोम को सब प्रकार से स्वच्छ, शुद्ध और शुशोभित करके दीपावली अथवा दीपमालिका बनाने से लक्ष्मी प्रसन्न होती है। और उनके घरों मे स्थायी रूप से निवास करती है।
लक्ष्मी पूजन के समय
दिन में : धनु लग्न मे दिन मे 10:28 से 12;31 शुभ चौघडिया मे 10: 42 से शुभ रहेगा
मीन लग्न 15;42 से तथा मष लग्न 17:07 से शुरू होअक सुर्यास्त के पीछेतक प्रदोश काल मे श्रेष्ट रहेगी इस दौरान चर एवम लाभ के चौघडिया महूर्त्त शुभ रहेगे।
रात्रि में : इस वर्ष वृष लग्न श्रेष्ट नही है इसका समय 18:43 से 20:39 है इसमे लग्नेश का छठे भाव मे स्थिति तथा केतु की स्थिति नेष्ट है। अत: विद्वान जनो को इस वर्ष मिथुन लग्न 20:39 से 22;52 तक शुभ है इसमे भी अमृत का चौघडिया 20:52 से 22:58 तक विशेश शुभ होगा।
महानिशीथ काल 23:39 से 24;31 तक रहेगा। जिसे लक्ष्मी देवी के पूजन हेतु अत्यंत शुभ कहा है यथा” निशीथे लक्ष्म्यादि पूजनं कृत्यं शुभम।”
अतः अपनी अपनी सुविधानुसार उचित समय मे लक्ष्मी का पूजन करे।
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