मशहूर बंगाली लेखक सुजीत सेन के जीवन पर बनी फिल्म "लाइव्स गुड" प्रदर्शन के लिए तैयार है। जाने माने चरित्र अभिनेता और निर्देशक अनंत महादेवन के निर्देशन में बनी यह फिल्म 31 दिसंबर को रिलीज होगी। लेकिन सुजीत सेन जैसे शख्स पर केंद्रित गंभीर फिल्म बनाने का साहस किया है निर्माता आनंद शुक्ला ने। उन्होंने इस विषय को क्यों चुना और फिल्म से उन्हें क्या उम्मीदें हैं, ऐसे तमाम सवालों पर उनसे खास बात की बाला मिश्रा ने।
1- यह फिल्म यह किस घटना पर आधारित है?
सुजीत सेन जाने माने बंगाली लेखक थे जिन्होंने बॉलीबुड को कई नामचीन फिल्में दी है। जैसे अर्थ, सारांश, हम है राही प्यार के, गुमराह, आतिश। लेकिन यह फिल्म भी सेन के डायरी के पन्ने पर फिल्म आधारित है। जहां वो अपने नतिनी के बारे में बताते हैं।फिल्म का मुख्य किरदार की भूमिका में रामेश्वर अपनी मां के मौत के बाद पूरी तरह से टूट जाता है। तब उसकी जिंदगी में एक छ: साल की छोटी बच्ची मिष्टी उम्मीद की नई किरण लेकर आती है और ये छोटी ब्च्ची से उनके जीवन के जीने का नजरिया ही बदल जाता है।
2-लाइव्स गुड एक व्यवसायिक सिनेमा है या वास्तविकता का ख्याल रखा गया है?
इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता कि ये वास्तविकता से जुड़ी फिल्म है, लेकिन आज के दौर को देखते हुए हमने इसमें व्यवसायिक दृष्टिकोण का भी पूरा ख्याल रखा है। लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या ये थी कि फिल्म में वास्तविकता और व्यवसाय़िकता को कैसे एक साथ रखा जाए। जिससे फिल्म के मूल भाव पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़े ।फिल्म की वास्तविकता को लोगों के सामने परोसने की पूरी कोशिश की गई है।
3- एकता आनंद बैनर के तले आपकी ये पहली फिल्म है , तो आप कैसा महसूस कर रहे हैं?
जी हां , मैं इस फिल्म को लेकर मैं काफी उत्साहित और खुश हूं। जहां तक पहली फिल्म की बात है तो मैंने इस फिल्म में पूरी कोशिश की है कि क्रू-मेंबर को ये ना लगे कि वो किसी नवसिखुए के साथ काम कर रहे हैं। हर बात का पूरा ख्याल रखा गया था, और मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि ये रही कि सेट पर स्पाट ब्याय ने आकर ये बताया कि सर आपने सबका भरपूर ख्याल रखा...जिससे मुझे आत्मिक खुशी मिली।
4-आखिर दर्शक लाइव्स गुड ही क्यों देखें। इसके लिए आप दर्शकों से क्या कहना चाहेंगे?
सच तो ये है कि आजकल बड़ी बजट की फिल्मों का ही दौर है। मीडिया. फाइनेंसर, डिस्ट्रिब्यूटर भी ऐसी ही फिल्मों को तवज्जो देते है। कम बजट की फिल्में इस चमक धमक के बीच अक्सर खो जाती है ,क्योंकि इन फिल्मों को इतनी पब्लिसिटी नहीं मिलती और कम बजट के कारण लोगों के बीच अपनी पहचान छोड़ने में कामयाब नहीं हो पाती। मैं दर्शकों से यही कहना चाहुंगा कि वो इस फिल्म को जरूर देखे ,क्योंकि इसमें वास्तिवक जिंदगी को पर्दे पर दिखाने की कोशिश की गई है, और मैं ये दावे के साथ कह सकता हूं कि आप इस फिल्म से जरूर कुछ ना कुछ लेकर जाएंगे। अगर इस तरह की फिल्मों के तरफ दर्शकों का रूझान बढ़ेगा तो मुझे भी आत्मबल भी मिलेगा ताकि आने वाले समय में और भी ऐसी फिल्म बनाई जा सके।
5-क्या आपको लगता है कि किसी फिल्म की सफलता में बड़े नाम का होना जरूरी होता है?
अक्सर फिल्म कहानियों की बदौलत हिट रहती है.लेकिन इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि फिल्मों में आईटम हिरोइन, या बड़े नाम का भी अहम रोल रोल होता है जो कुछ ना कुछ फिल्म के सफलता को तय करती है। लेकिन मेंरी इस फिल्म में कोई बड़ा नाम नहीं हैं ,हां इतना जरूर है कि काफी अच्चे कलाकार इस फिल्म से जुडें हैं।
6- इस फिल्म में मुख्य कलाकार कौन-कौन से लोग है?
मुख्य किरदार की भूमिका में जैकी श्राफ, मोहन कपूर, रजत कपूर, नकुल सहदेव, और अंकित श्रीवास्तव हैं।अभिषेक राय और आशा भोंसले ने संगीत दिया है।शान और श्रेया घोषाल ने अपनी आवाज की फनकार से इस सजाया है। फिल्म के डायरेक्टर अनंत महादेवन हैं।
7- इस फिल्म में मुख्य किरदार के लिए आपने जैकी दादा को ही क्यों चुना?
जैकी दादा का चुनाव हमारे डायरेक्टर अनंत महादेवन के कहने पर किया गया। जैकी दादा लेखक सुजीन सेन का बहुत अच्छे मित्र हुआ करते थे और सुजीत दा ये मानना था कि वो बेहद अच्छे कलाकार हैं। इसी सोच के तहत जैकी दादा को हमने फिल्म की कहानी सुनाई और सुनने के बाद वो अभिनय के लिए तैयार हो गए।
8-ऐसी क्या खास वजह रही जो आपने इस फिल्म को 11.11.11 को लांच किया?
इसकी कोई खास वजह नहीं है, लेकिन हम चाहते थे कि फिल्म जिस दिन लांच किया जाए वो कोई यादगार तारीख हो, और इसके लिए 11.11.11 से अच्छा तारीख कोई नहीं हो सकता था।