9 मई 2011
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री युसुफ रजा गिलानी ने सोमवार को कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान का अमेरिका के साथ गम्भीर मतभेद हैं, लेकिन तुरंत उन्होंने संभलते हुए कहा कि दोनों देश अभी भी रणनीतिक हित के लिए साझेदार हैं। इसके साथ ही उन्होंने सवाल किया कि अलकायदा का जनक कौन है?
गिलानी ने यह याद दिलाते हुए कहा कि अमेरिका ने ही 1980 के दशक में सावियत संघ से लड़ने के लिए इस्लामी योद्धा तैयार किए थे। इसी से अलकायदा का जन्म हुआ।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अलकायदा का जनक नहीं है। उल्टे अल कायदा ने पाकिस्तान में कई हमले कर करीब 30,000 लोगों को मारा है। गिलानी ने पाकिस्तान के एबटाबाद में अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के खिलाफ की गई अमेरिकी कार्रवाई पर सोमवार को संसद में बयान दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को अमेरिकी कार्रवाई की जानकारी नहीं थी।
गिलानी ने लादेन के एबटाबाद में छिपे होने को खुफिया चूक तो माना लेकिन यह भी कहा कि यह केवल पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की विफलता नहीं है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों की विफलता है। आईएसआई के खिलाफ उठ रही उंगलियों को गलत बताते हुए उन्होंने कहा कि यह राष्ट्र की सम्पत्ति है और सरकार को इस पर गर्व है।
उन्होंने कहा कि यह आईएसआई ही है, जिनकी खुफिया जानकारी पर अमेरिका यह कार्रवाई करने में सफल हुआ।
गिलानी ने पहले अंग्रेजी में लिखा हुआ भाषण दिया, लेकिन बाद में उन्होंने उर्दू में बोलना शुरू किया।
गिलानी ने कहा कि ओसामा के खिलाफ अमेरिका को मदद करने से पाकिस्तान में व्यापक क्षोभ था। उसके बाद उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच इस विषय पर काफी मतभेद था।
उन्होंने और स्पष्ट करते हुए कहा कि यह मतभेद आतंकवाद से लड़ने के तकनीकी तरीकों पर था।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अभी भी अमेरिका को काफी महत्वपूर्ण मानता है।
उन्होंने बताया कि लोगों की तमाम आशंकाओं को दूर करने के लिए शुक्रवार को संसद का संयुक्त सत्र बुलाया गया है, जिसमें सेना तथा आईएसआई के अधिकारी मौजूद रहेंगे। अधिकारियों ने खुद लोगों के सवालों का जवाब देने के लिए संसद आने की इच्छा जताई है। उन्होंने सभी दलों का आह्वान किया कि वे इस दिन संसद में उपस्थित रहें और अपने मन की आशंकाएं दूर करें।
गिलानी ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई से पाकिस्तान पीछे नहीं हट रहा लेकिन सम्प्रभुता से किसी तरह का समझौता करने से इंकार किया और कहा कि आगे यदि एबटाबाद जैसी कोई और कार्रवाई होती है तो पाकिस्तान इसका जवाब देगा।
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