10 नवंबर, 2010
नयी दिल्ली। राज्य सभा की तीन सदस्यीय समिति ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सौमित्र सेन को भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया है।
राज्य सभा के सभापति हामिद अंसारी द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी की अध्यक्षता में गठित इस समिति में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मुकुल मुदगल और जानेमाने विधि विशेषज्ञ फॉली एस. नरिमन शामिल हैं। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट बुधवार को राज्यसभा में पेश की।
समिति ने कहा कि सेन को 'झूठे बयान देने' तथा कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा 'रसीवर' नियुक्त किए जाने पर 'बड़ी मात्रा में प्राप्त अनुचित धनराशि रखने' का दोषी ठहराया है।
समिति ने कहा है कि आरोप पूरी तरह साबित हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच से मिले नतीजों के अनुसार समिति की राय है कि न्यायमूर्ति सौमित्र सेन गलत आचरण के दोषी हैं।
संसद के दोनों सदनों ने यदि सेन के महाभियोग को स्वीकृति दे दी तो वह इस तरह हटाए जाने वाले भारत के प्रथम न्यायाधीश होंगे।
सेन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव राज्य सभा के 50 से ज्यादा सदस्यों के हस्ताक्षर वाले नोटिस के बाद लाया गया। इस रिपोर्ट के आधार पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा और मतदान होगा। उसके बाद सेन के खिलाफ महाभियोग के बारे में निर्णायक फैसला किया जाएगा। जानकारों का कहना है कि महाभियोग प्रस्ताव कांग्रेस की राय पर निर्भर करेगा, इस प्रस्ताव का समर्थन न करने वाली कांग्रेस अकेली प्रमख पार्टी है।