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सचिन के सपने पर शनि की नज़र!
आचार्य रामहरि शर्मा
 
क्रिकेट के इतिहास में सचिन तेंदुलकर का नाम एक चमकते सितारे की तरह है, इस चमकते सितारे ने पिछले २१ सालों से क्रिकेट प्रेमियों के दिल में जो जगह बनाई है वह जगह शायद ही कोई  भविष्य मे बना पाये.

सचिन तेंदुलकर के रिकार्ड को देखकर कोई भी उनकी महानता का गुणगान अपने आप करने लगेगा. परन्तु इस मास्टर ब्लास्टर के इन रिकार्डो को देख कर एक प्रश्न उजागर होता है कि  क्या उनके बीस साल के क्रिकेट करियर का सर्वश्रेष्ट समय निकल चुका है या अभी भी उन्का सर्वश्रेष्ट कैरियर बाकी है,अभी यह भी देखना है कि उनमें कितना क्रिकेट बाकी है.

आइये इन सभी प्रश्नो का उत्तर हम उनकी जन्म कुन्डली का विश्लेषण करके देने की कोशिश करेगें.

सचिन तेंदुलकर का जन्म मुम्बई में 24 अप्रैल 1973 को शाम  में 4 बजकर 20 मिनट पर हुआ था, आइये अब हम उनकी कुन्डली मे स्थित खिलाड़ी बनकर सफलता पाने के ज्योतिषीय योगों की जांच करें। खिलाड़ी बनकर सफलता पाने के ज्योतिषीय योग निम्‍न हैं।

1. मंगल, बुध का सम्बन्ध दशम भाव से हो तो जातक खिलाड़ी बनकर सफलता पाता है
2. त्रतीय भाव , त्रतीयेश व इस भाव का कारक मंगल यदि दशम भाव से सम्बन्ध बनाता है तो खेल और प्रतियोगिता से धन , मान व यश दिलाते है
3. खेलकूद या खिलाड़ी बनकर सफलता पाने के लिये लग्न , नवम व दश्म भाव का बली होना आवश्यक है

4. लग्नेश का त्रतीय भाव , त्रतीयेश व मंगल से सम्बन्ध साहस व स्पर्धा शक्ति को बढ कर खेल जगत मे स्फलता देता है।

सचिन की कुन्डली में लग्नेश बुध की दृष्टि लगन पर है तथा धनेश शुक्र दृष्टि धन भाव पर है . परक्रमेश मंगल उच्च का होकर पंचम भाव में नीच के गुरू के साथ स्थित होकर भग्येश शुक्र पर दृष्टि डाल रहा है जो कि संघर्ष क्षमता व परक्रम को बढा कर क्रिकेट खिलादी के रूप मे धन , मान व यश देता है. तृतीय भाव से एकादशेश का सम्बन्ध भी खिलाड़ी बनाकर सफलता देता है इस प्रकार हम देख सकते है कि उपर्युक्त सभी ज्योतिषीय योग सचिन जी की कुन्डली में पूर्ण और आंशिक रूप से विद्यमान हैं

19 दिसम्बर 1989 को सचिन तेंदुलकर ने अपने वनडे क्रिकेट के करियर की शुरूआत की.  उस समय उनको मंगल की महादशा चल रही थी. मंगल की महादशा 1996 मे समाप्त होकर राहु की महादशा शुरू हुई. यह मंगल तथा राहु की महादशा मे उन्होने उतार चढाव के बीच जो ख्याति पाई उसे हम सभी जानते है.

अब प्रश्न है सचिन तेंदुलकर जी के एकमात्र सपने का जिसके लिये वे अभी भी क्रिकेट मे जमे हुये है वो चाहते है कि उनके भारतीय टीम मे रहते हुये विश्व कप पर विजय हाशिल हो. वैसे जयोतिष के हिसाब से देखा जाये तो इस समय उनको राहु में शुक्र का अन्तर चल रहा है. शुक्र इनकी कुन्डली के अष्टम भाव में स्थित है. नवांश कुन्डली मंत शुक्र की स्थिति योगकारक ग्रह के रूप मे उभरी है इससे हम ऐसा कह सकते हैं कि अभी भी सचिन जी में बहुत क्रिकेट बाकी है और कई रिकार्डो का बनना तय है.

विश्व कप के समय सचिन की कुन्डली के अनुसार राहु की महादशा मे शुक्र का अन्तर चलेगा. यह दोनों ही ग्रह सचिन को मिलाजुला परिणाम ही देने वाले हैं। परन्तु सचिन के सपने का सच होना प्रत्यन्त और सूक्ष्म दशा पर ही निर्भर करेगा. विश्व कप के दौरान उन्को बुध का प्रत्यन्तर चलेगा जोकि सचिन के सपने को साकार करने वाला नजर आता है. परन्तु फ़ाइनल मैच 2 अप्रैल 2011 के दिन शनि की सूक्ष्म दशा एवम शनि के ही प्राण दशा मे खेला जायेगा जो सचिन जी के विश्व कप के सपने को पूरा करने मे संदेह की स्थिति को दर्शाती है।

ज्योतिषीय स्थितियां भले ही विश्व कप जीतने मे संदेह दिखाती हो परन्तु मेरी तो ईश्वर से यही प्रार्थना है कि मेरी भविष्यक वाणी असत्य होकर हमारे प्रिय खिलाडी  सचिन अपना सपना अवश्य पूरा करे.


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