19 दिसंबर, 2010
लंदन। भोजन में लहसुन, प्याज और हरे प्याज का पर्याप्त सेवन आपके श्वसन के लिए भले ही बहुत उपयुक्त न हो, लेकिन इससे गठिया का खतरा कम हो सकता है।
लंदन के किंग्स कॉलेज और युनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया के अनुसंधानकर्ताओं ने खुराक और जोड़ों के दर्दनाक रोग के बीच सम्बंधों का पता लगाया है। यह जानकारी 'डेलीमेल डॉट को डॉट यूके' पर प्रकाशित हुई है।
अनुसंधानकर्ताओं ने पाया है कि लहसुन परिवार की सब्जियों का अधिक सेवन करने वाली महिलाओं में कमर में ऑस्टियोआर्थराइटिस की आशंका कम होती है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस वयस्कों में गठिया का बेहद आम रूप है। ब्रिटेन में इस बीमारी से लगभग 80 लाख लोग पीड़ित हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इस बीमारी की ज्यादा आशंका होती है।
यह बीमारी मध्यम आयु वर्ग और बुजुर्गो में कूल्हे, घुटने और रीढ़ को प्रभावित कर दर्द और अपंगता पैदा करती है। मौजूदा समय में दर्द निवारक और जोड़ों की शल्य चिकित्सा के अलावा इस बीमारी का और कोई प्रभावी इलाज नहीं है।
शरीर के वजन और ऑस्टियोआर्थराइटिस के बीच सम्बंध जगजाहिर है, लेकिन यह पहला अध्ययन है जो यह बताता है कि खुराक से ऑस्टियोआर्थराइटिस का विकास और रोकथाम कितना और किस तरह प्रभावित हो सकता है।
अनुसंधानकर्ताओं ने पाया है कि डायलिल डाईसल्फाइड नामक यौगिक को जब प्रयोगशाला में मानव उपास्थि कोशिकाओं में प्रवेश कराया जाता है तो वह उपास्थि को क्षति पहुंचाने वाले एंजाइमों की मात्रा को सीमित कर देता है।
अध्ययन का नेतृत्व करने वाले फ्रांसेस विलियम ने कहा, "जहां हम अभी तक यह नहीं जानते थे कि लहसुन खाने से जोड़ों में इस यौगिक का स्तर बढ़ जाता है, वहीं यह निष्कर्ष भविष्य में कूल्हे में ऑस्टियोआर्थराइटिस की रोकथाम और उसके इलाज का रास्ता खोल सकता है।"