समिति की बैठक ऐसे समय में हुयी है जबकि खाद्य मुद्रास्फीति इसी माह बढ़कर 14.44 प्रतिशत हो गयी। बढ़ती महंगायी का सीधा असर आम आदमी पर पड़ा है।
सूत्रों के अनुसार समिति ने प्याज की कीमतों में हाल ही में आए उछाल पर भी चिंता जतायी तथा दामों पर नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा की।
प्याज तथा अन्य खाद्य उत्पादों के बढ़े दाम के कारण खाद्य मुद्रास्फीति 18 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में बढ़कर 10 सप्ताह के उच्चतम स्तर 14.44 प्रतिशत पर पहुंच गयी।
समिति ने खरीफ दालों का उत्पादन अच्छा रहने तथा कीमतों में गिरावट का भी ज्रिक किया। इस खरीफ सत्र में दालों का उत्पादन 60 लाख टन रहने का अनुमान है जो पिछले साल 43 लाख टन रहा था।
इससे पहले दिन में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने खाद्य कीमतों में वृद्धि पर चिंता जतायी। उन्होंने कहा, ‘हम इस पर गौर कर रहे हैं। जहां तक प्याज के दाम की बात है हमने इसको संभाला है। लेकिन अब दूध, फल, सब्जियों और कुछ अन्य उत्पादों के दाम ने महंगायी को बढाया है।’
वित्त मंत्री ने खाद्य मुद्रास्फीति के ताजा आंकड़ों पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘पहले हम सोचते थे कि यह वृद्धि आधार प्रभाव के कारण हो रही है लेकिर सिर्फ ऐसा नहीं है। कुछ खाद्य उत्पादों की कीमतों में वास्तव में वृद्धि हुयी है।’ समिति में उल्लेख किया गया कि खाद्यान्न तथा दाल एवं चीनी की उपलब्धता बढाने के लिए कदम उठाए गए हैं।
सरकार ने दालों पर निर्यात प्रतिबंध को मार्च 2012 तक बढा दिया है साथ ही सके शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी गयी है।
इस साल चीनी का उत्पादन अपेक्षाकृत अच्छा रहने का अनुमान है। सरकार ने राशन दुकानों के जरिये ब्रिकी के लिए 50 लाख टन चावल तथा गेहूं आवंटित किया है।