शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का महापर्व है। इस पुण्यतमातिथि का दूसरा पक्ष ईशान-संहिता में इस प्रकार बताया गया है-शिवलिङ्गतयोद्भूत: कोटिसूर्यसमप्रभ:
इस साल महाशिवरात्रि का पावन पर्व 2 मार्च को है। सभी सनातन धर्मी इस पर्व का बेसब्री से इंतजार करते हैं। उसका कारण यह है कि जो लोग प्रतिदिन की पूजा के लिए समय नही निकाल पाते, वे अगर शिवरात्रि पर एक बेलपत्र भी अपर्ण कर दें तो वे भगवान शिव की कृपा अधिकारी बन जाते हैं।
भगवान शिव भोले देव हैं। कई सारे राक्षसों ने इस भोलेपन का भी लाभ उठाया है। वर देते समय उपस्थित शिव से उनका भक्त क्या मांग लेगा इस पर शिव जी कभी ध्यान ही नही देते। वो इसलिये कि प्रभु भोले निष्कपट निष्पाप और अविनाषी हैं। इसलिए कपट के भाव पर वह ध्यान नही देते। जन मानस के लिए आज का दिन विशेष महत्व रखता है। बस हमें एक ही बात का विशेष ध्यान रखना है कि भवानी शंकरौं वन्दे श्रद्वा विश्वास रूपिणौ, याभ्याम बिना न पष्यन्ति सिद्वः स्वान्तस्थमीष्वरम्, अर्थात प्रभु की अराधना में श्रद्वा और विश्वास दोनों का होना अति आवष्यक है। इसमें अगर एक की भी कमी रह गई तो प्रभु कृपा मुश्किल है।
शिवपुराणकी कोटिरुद्रसंहिता में शिवरात्रि-व्रत की विधि एवं महिमा का वर्णन तथा अनजान में शिवरात्रि-व्रत करने से भील पर भगवान शंकर की अद्भुत कृपा होने की कथा मिलती है। भोलेनाथके समस्त व्रतों में शिवरात्रि सर्वोच्च पद पर आसीन है। भोग और मोक्ष की कामना करनेवालोंको इस व्रतराज का पालन अवश्य करना चाहिए। देवाधिदेव महादेव को प्रसन्न रखनेवाले सभी मनुष्यों के लिए यह शिवरात्रि-व्रत सर्वश्रेष्ठ है।
स्कन्दपुराण में इस महाव्रत की प्रशंसा में कहा गया है-
परात् परतरंनास्तिशिवरात्रिपरात्परम्। यह शिवरात्रि-व्रत परात्पर है अर्थात् इसके समान दूसरा कोई और व्रत नहीं है। स्कन्दपुराणके नागरखण्डमें ऋषियों के पूछने पर सूतजीकहते हैं-माघ मास की पूर्णिमा के उपरांत कृष्णपक्ष में जो चतुर्दशी तिथि आती है, उसकी रात्रि ही शिवरात्रि है। कलयुग में यह व्रत थोडे से ही परिश्रम से साध्य होने पर भी महान पुण्यप्रदतथा सब पापों का नाश करने वाला है।
कैसे करें पूजा-
शिवरात्रि को प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें, फिर शुद्ध वस्त्र धारण कर भगवान शिव का पंचोपचार या षोडषोपचार पूजन करें अन्न का ग्रहण ना करें क्रोध, काम चाय, काफी का सेवन ना करें, टीवी ना देखें दिनभर ऊँ नम: शिवाय का जाप करें।
रात का प्रथम प्रहर शाम 6 बजे से शिव का षोडषोपचार पूजन करें तथा गन्ने के रस से अभिषेक करने से सभी प्रकार के भोगों की प्राप्ति होती है। रात में नौ बजे दूसरा पूजन शुरु करें तथा दही से अभिषेक करें। इससे भगवाल प्रसन्न हाकर धन की प्राप्ति होती है। रात को बारह बजे तीसरा पूजन शुरु करें तथा दूध से अभिषेक करें इस पूजन से प्रसन्न होकर भगवान स्वर्ण की प्राप्ति होती है। रात के तीन बजे चौथा तथा अंतिम पूजन करने से शिव प्रसन्न होकर समस्त भोग तथा मोक्ष दे देते हैं। हर अभिषेक पूजन के बाद आरती अवश्य करें। प्रात: किसी ब्राह्मण को भोजन कराकर फिर अपना व्रत पूर्ण करें।
राशियों के मुताबिक पूजा-
आज की महंगाई और बेरोजगारी भरे जीवन रोटी, कपडा और मकान का स्वप्न देखना और उसे पूरा करना आसान काम नही रह गया है और यदि आप ये स्वप्न पूरा भी कर लेते है तो कहीं न कहीं कर्ज रूपी राक्षस की गोद में बैठ जाते हैं। जीवन की इस तरह सभी समस्यायों से निजात पाने के लिए इस महाशिवरात्रि पर सभी बारह राशियों के जातक अपनी राशि और अपनी कामनाओं अथवा परेशानियों के अनुसार भगवान शिव की आराधना कर यथेष्ट फल प्राप्त कर सकते हैं। सभी राशियां अग्नि, पृथ्वी, वायु और जल तत्व प्रधान हैं, जिससे मेष सिंह और धनु राषि अग्नि तत्व प्रधान हैं। इस पर्व पर इन राशि के जातकों को भगवान शिव पर मिश्री, दूध, गंगाजल, शहद, दही और घी से मिला पदार्थ चढाते हुए ऊँ नमः शिवाय करालं महाकाल कालं कृपालं ऊँ नमः शिवाय का जाप करते रहना चाहिये। सामान्यतः यह सभी राषि वालों के लिये उपयुक्त है। वृष, कन्या, मकर राषि पृथ्वी तत्व की की राशि ही इस राशि के जातक महाशिवरात्रि के दिन दही और शहद का लेप करते हुये ऊँ तत्पुरूशाय विद्यमहे महादेवाय धी महि तन्नो रूद्रः प्रयोदयत, यह मंत्र पढते हुये भगवान शिव पर भांग, धर्तूर, बेलपत्र और मंदार पुष्प चढायें। यही सभी राशि के जातको को करना चाहिये। मिथुन, तुला और कुंभ वायुतत्व की राशियां हैं। भगवान शिव सुगंधित पदार्थों का लेप करते हुये घी चढाये ऊँ नम शंभवाय च मयो भवाय च नमः शंकरायच मयस्कराय च नमः शिवाय च शिव तराय चः का जाप करते रहना चाहिये। कर्क, वृश्चिक और मीन जलतत्व की राशियां है। इन राशियों के जातकों को गन्ने का रस या चीनी मिश्रित दूध से भगवान शिव की आराधना करनी अति सुन्दर रहेगी। साथ ही यह मंत्र ऊँ नमः शिवाय के साथ काल हरो हर कष्ट हरो हर दुःख हरो दारिद्रय हरो, नमामि शंकर भजामि शंकर, शंकर शम्भो तव षरणं। यह मंत्र अमोघफल दायी है। सभी राशियों के जातक बेल पत्र पर राम राम चन्दन से लिखकर चढाये तो अति उत्तम रहेगा। जिन्हे पुत्र की अभिलाषा हो दूध से, धन की अभिलाषा हो तो गन्ने के रस से और कर्ज से मुक्ति पाना हो तो शहद से सकाम रूद्राभिषेक करवा सकते हैं। यह शिव रात्रि अमेघ पुण्य फल दायिनी है भक्त जन को इसका लाभ उठाना चाहिये।
कुंवारियों के लिए विवाह का सुयोग बनता है। विवाहितोंके दाम्पत्य जीवन की अशान्ति दूर होती है। वस्तुत:शिवरात्रि भगवान शंकर के सान्निध्य का स्वर्णिम अवसर प्रदान करती है।