11 मार्च, 2011
आईसीसी वर्ल्ड कप 2011 में भारत का सबसे कड़ा मुकाबला शनिवार को होगा, जब वो नागपुर की झुलसती गर्मी में दक्षिण अफ्रीका को चुनौती देगी। हालांकि, भारत वर्ल्ड कप के क्वार्टर फाइनल में पहले ही जगह बना चुका है, लेकिन इस जीत से टीम को मिलेगा आत्मविश्वास का टॉनिक। और इस टॉनिक की टीम इंडिया को अब बेहद जरुरत है।
भारत भले ही तीन जीत और एक टाई के साथ क्वार्टर फाइनल में पहुंच चुका है लेकिन वह आईसीसी विश्व कप-2011 के खिताब की दावेदार है या नहीं, इसे साबित करने के लिए उसे शनिवार को दक्षिण अफ्रीका को हराना होगा। यह मैच अंक या नतीजे के लिहाज से भले ही महत्वपूर्ण न हो लेकिन यह किसी भी लिहाज से टीम इंडिया के लिए अग्नि परीक्षा से कम नहीं है।
नागपुर से 14 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग-7 पर स्थित विदर्भ क्रिकेट संघ (वीसीए) के बेहद खूबसूरत स्टेडियम में भारतीय टीम अपना तीसरा एकदिवसीय मैच खेलेगी। भारत और दक्षिण अफ्रीका इस मैदान पर पहली बार खेलेंगे। भारत को यहां 2009 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत मिली थी जबकि 2009 में ही श्रीलंका ने उसे तीन विकेट से पराजित किया था।
यह मैदान भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धौनी के लिए बड़ा भाग्यशाली रहा है। धौनी ने यहां तीन महीने के अंतराल में दो शतक लगाए हैं। उन्होंने पहला शतक अक्टूबर 2009 में आस्ट्रेलिया और दूसरा शतक दिसम्बर 2009 में श्रीलंका के खिलाफ लगाया था। इस मैदान पर अपने अच्छे प्रदर्शन को लेकर धौनी आश्वस्त नहीं है लेकिन उन्हें भरोसा है कि टीम इस मैदान पर अपना रिकॉर्ड सुधारने का प्रयास करेगी।
धौनी ने कहा, "इस मैदान पर हमारा रिकॉर्ड 50 फीसदी का रहा है। हम इसे सुधारने का प्रयास करेंगे। यहां हमेशा बड़े स्कोर खड़े बनाए गए हैं। मैंने अभी विकेट नहीं देखा है, लिहाजा अभी नहीं कह सकता कि फिलहाल विकेट से क्या उम्मीद की जा सकती है। इसके बाद ही हम टीम संयोजन के बारे में सोचेंगे।"
धौनी ने इस बात को खारिज कर दिया है कि उनकी टीम का अब तक का प्रदर्शन सराहनीय नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी टीम निरंतर विकास कर रही है और दक्षिण अफ्रीका के साथ होने वाले मुकाबले से भी कुछ सीख हासिल करते हुए क्वार्टर फाइनल का अपना सफर शुरू करेगी।
बकौल धौनी, "हमें आप नकार नहीं सकते। हम अच्छा कर रहे हैं। सुधार की गुंजाइश है लेकिन फिलहाल हमारा लक्ष्य जीत है। जब तक जीत मिल रही है, हम निश्चिंत होकर अपनी रणनीति पर टिके रहना चाहते हैं। हमारा मनोबल ऊंचा है और हमारी कोशिश रहेगी कि हम इसके बूते अगले मैच में दक्षिण अफ्रीका को हराएं।"
धौनी चाहें कुछ भी कहें लेकिन तीन जीत और एक टाई के बावजूद टीम इंडिया का प्रदर्शन इस स्तर का नहीं रहा है, जिसके आधार पर उसे सम्भावित विजेताओं की सूची में खड़ा किया जा सके।
भारत ने अपना पहला मैच बांग्लादेश के खिलाफ जीता था। उसने बेशक 370 रन बनाए थे लेकिन बांग्लादेश की टीम उसकी कमजोर गेंदबाजी का फायदा उठाकर 283 रन बनाने में सफल रही थी। बांग्लादेश को वेस्टइंडीज ने अगले मैच में 58 रनों पर समेट दिया था।
गेंदबाजी भारत की सबसे कमजोर कड़ी के रूप में उभरी है। इसका नजारा बुधवार को फिरोजशाह कोटला मैदान पर भी देखने को मिला था जब नीदरलैंड्स की सलामी जोड़ी ने उसके खिलाफ शुरुआती 15 ओवरों में बिना कोई विकेट गंवाए 56 रन जोड़े थे।
नीदरलैंड्स के खिलाफ सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग ने जिस तरह की शुरुआत की थी, उससे यही लग रहा था कि भारत यह मैच 25 ओवरों में जीत लेगा। यह टीम के लिए काफी अच्छा रहता क्योंकि इससे न सिर्फ उसके अंक बढ़ते बल्कि इससे उसका नेट रन रेट भी बेहतर होता।
आयरलैंड के खिलाफ भी भारत के साथ ऐसा ही हुआ था। पहले खेलते हुए आयरलैंड ने भारत के खिलाफ 207 रन बना लिए थे और एक समय 87 रन के कुल योग पर ही उसके तीन दिग्गजों को पेवेलियन लौटा दिया था।
इंग्लैंड के खिलाफ जो हुआ, उससे सभी परिचित हैं। बल्लेबाजों ने अपने बूते 338 रनों का लक्ष्य हासिल किया लेकिन गेंदबाज इसे सुरक्षित नहीं रख पाए। वह तो इंग्लैंड के बल्लेबाजों की नाकामी थी, जिसके कारण भारत को पहली हार का तोहफा नहीं मिला।
चार मैचों का आकलन कहता है कि गेंदबाजी के साथ-साथ क्षेत्ररक्षण टीम इंडिया की कमजोर कड़ी है। साथ ही साथ कमजोर टीमों के खिलाफ भी बड़े बल्लेबाजों का लापरवाही से खेलना टीम इंडिया को बड़ी टीमों के खिलाफ काफी महंगा पड़ सकता है।
दूसरी ओर, दक्षिण अफ्रीकी टीम ब्रेशक अपना तीसरा मैच इंग्लैंड से हार गई लेकिन इससे उसके मनोबल पर कोई असर नहीं पड़ा है। उसकी बल्लेबाजी में भारत जैसा ही ठहराव है और आक्रमण पंक्ति निश्चित तौर पर भारत से बेहतर है। स्पिनर इमरान ताहिर के चोटिल होने से उसे थोड़ा नुकसान हुआ है लेकिन इसका असर उसके प्रदर्शन पर पड़ने की सम्भावना बहुत कम है।