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जपान में परमाणु संयंत्र पिघलने से भारत में चिंता बढ़ी

13 मार्च, 2011

नई दिल्ली। जापान में भूकम्प और सुनामी के बाद फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के पिघलने से भारत में भी चिंता बढ़ गई है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की सुरक्षा को लेकर तरह-तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। खासतौर पर भूकम्प की दृष्टि से संवदेनशील महाराष्ट्र में प्रस्तावित जैतपुर संयंत्र को लेकर चिंता जाई जा रही है।

परमाणु विरोधी कार्यकर्ताओं ने सूचना के अधिकार कानून के तहत भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण से इस बाबत पूछे गए सवाल के जवाब का हवाला देते हुए कहा है कि प्रस्तावित संयंत्र की जगह और उसके आसपास के क्षेत्रों में 1985 से 2005 के बीच भूकम्प के छोटे-बड़े 91 झटके महसूस किए गए। इनकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.9 से 9.3 तक थी।

अधिकारियों ने हालांकि ऐसे किसी खतरे को लेकर चिंतित नहीं होने को कहा है। उनका कहना है कि भारत में परमाणु ऊर्जा निगम पर सीधे सरकार का नियंत्रण है, जिसमें किसी भी आपात परिस्थति से निपटने और लोगों की सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम हैं।

परमाणु ऊर्जा विभाग में लोक जागरुकता डिविजन के प्रमुख एस. के. मल्होत्रा के अनुसार भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र मिसाइल हमले के बाद भी सुरक्षित रह सकते हैं। भारत सहित दुनिया के अन्य देशों में भी आधुनिक परमाणु संयंत्र के निर्माण में इस बात का ध्यान रखा गया है कि अंदर का ईंधन बाहर न निकले। किसी दुर्घटना या आपदा की स्थिति में यह अपने आप सुरक्षित प्रणाली में चला जाएगा और इसका प्रशीतक तंत्र (कूलिंग सिस्टम) काम करता रहेगा, जिससे रिसाव रोकने में मदद मिलेगी।

परमाणु वैज्ञानिक और परमाणु ऊर्जा नियामिक बोर्ड के पूर्व सचिव के. एस. पार्थ सारथी ने भी भारत में परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा को लेकर भरोसा जताया। उन्होंने कहा, "संभव है कि हमारे संयंत्र 8.9 तीव्रता वाले भूकम्प के झटके झेलने में समर्थ न हों, लेकिन भारत में इस स्तर की तीव्रता की आशंका भी नहीं है। हिमालय क्षेत्र में इसकी आशंका है और इसलिए वहां कोई संयंत्र नहीं लगाया जा रहा।"

सामाजिक कार्यकर्ता इससे संतुष्ट नहीं हैं। गैर-सरकारी संगठन ग्रीनपीस में परमाणु एवं ऊर्जा अभियान से जुड़ीं करुणा रैना ने कहा, "यदि जापान सभी सुरक्षा उपायों के बावजूद ऐसा नहीं कर सका तो हम कैसे कर सकते हैं।"

उन्होंने यह भी कहा कि परमाणु संयंत्र पहले ही खतरनाक है और भूकम्प आशंकित क्षेत्र इसे और खतरनाक बनाता है।


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