16 अप्रैल 2011
वाशिंगटन। भारत सहित दुनिया की सात सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की खामियों की पहचान और उन्हें दूर करने के लिए जी-20 संगठन के सदस्य देशों के वित्त मंत्री एक नया निगरानी तंत्र स्थापित करने पर सहमत हुए हैं। जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और अधिकारियों की बैठक के एक दिन बाद शुक्रवार को जारी एक संयुक्त बयान में इस नए तंत्र का उल्लेख किया गया है। यह तंत्र इन सम्बंधित देशों को विदेशी व्यापार असंतुलन और सरकारी कर्ज में अत्यधिक वृद्धि की अवस्था में सुधारात्मक कार्रवाई के लिए प्रेरित करेगा।
फ्रांस की वित्त मंत्री क्रिस्टीन लेगार्ड ने पत्रकारों से कहा कि जी-20 में यह समझौता वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुधार प्रक्रिया को बरकरार रखने और भविष्य में वित्तीय संकट की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि है। निगरानी प्रक्रिया की शुरूआत में इसका केंद्र दुनिया की सात सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर रहेगा लेकिन बाद में इसका दायरा जी-20 में शामिल सभी देशों तक बढ़ाया जाएगा। लेगार्ड ने इन सात देशों के नाम नहीं बताए लेकिन यह देश भारत, अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन होने की संभावना है।
बयान में कहा गया है कि जी-20 देशों के कुल सकल घरेलू उत्पाद में पांच प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी वाले देशों को निगरानी के दायरे में रखा जाएगा। कनाडा के वित्त मंत्री जिम फ्लेहर्टी ने कहा कि यह समूह जी-7 नहीं है, इसमें भारत और चीन शामिल होंगे। सार्वजनिक कर्ज, राजकोषीय घाटे और बाह्य असंतुलन सहित कुल निवेश आय जैसे संकेतकों की निगरानी के लिए जी-20 देशों ने चार संरचनात्मक और सांख्यिकीय विधियां सुनिश्चित की हैं। कोई देश इनमें से दो विधियों के अनुसार आकलन में खतरनाक स्तर पर पाए जाने पर इस सम्बंध में और अध्ययन किया जाएगा और सुधारों के सुझाव दिए जाएंगे।