17 अप्रैल 2011
काठमांडू। नेपाल में झलनाथ खनाल के प्रधानमंत्री बनने के दो माह बाद भारत के विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा यहां का दौरा करने वाले हैं। समझा जाता है कि वह सुस्त शांति प्रक्रिया, अगले महीने नया संविधान लागू करने और द्विपक्षीय समझौतों में प्रगति की धीमी गति पर चर्चा करेंगे।
कृष्णा बुधवार को अपनी तीन दिवसीय नेपाल यात्रा पर यहां पहुंचने वाले हैं। उनके साथ भारतीय विदेश सचिव निरुपमा राव भी होंगी।
भारतीय विदेश मंत्री की यात्रा खनाल के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ ही दिनों बाद मार्च में प्रस्तावित थी। लेकिन यह नेपाल में मंत्रिमंडल विस्तार में हो रही देरी के कारण स्थगित कर दी गई थी।
यहां तक कि अब भी दो बार मंत्रिमंडल का विस्तार करने के बावजूद खनल विदेश मंत्री की नियुक्ति नहीं कर पाए हैं। उनके विदेश मामलों के सलाहकार मिलन तुलाधर का हालांकि कहना है कि कृष्णा के साथ बातचीत के लिए प्रधानमंत्री की पार्टी किसी वरिष्ठ मंत्री को प्रतिनियुक्त करेगी।
नई दिल्ली की चिंता पांच साल पहले माओवादियों और प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद भी अवरुद्ध शांति प्रक्रिया को लेकर है। कृष्णा की इस यात्रा के दौरान यह जानने का प्रयास भी किया जाएगा कि क्या संघर्षरत पार्टियां 28 मई तक देश में नया संविधान लागू कर पाएंगी।
कृष्णा उन माओवादियों की भारत विरोधी गतिविधियों का मामला भी उठाएंगे, जो सरकार में शामिल नहीं हैं और भारतीय कम्पनियों पर लगातार हमले कर रहे हैं।
समझा जाता है कि भारतीय विदेश मंत्री यह यात्रा नेपाल के प्रधानमंत्री की प्रस्तावित आधिकारिक भारत यात्रा के लिए जमीन तैयार करेगी।
खनाल एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए सात मई को तुर्की की विदेश यात्रा पर जाने वाले हैं। यदि सम्भव हो तो उन्होंने इससे पहले भारत यात्रा की इच्छा जताई है।