21 अप्रैल 2011
पटना। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को आंदोलन मानने से इंकार करते हुए कहा है कि जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से बड़ा आंदोलन अब नहीं हो सकता।
पासवान ने विशेष बातचीत में कहा, "बिहार में नीतीश सरकार को जितनी घोषणाएं करनी हैं करें। इस बारे में वह सरकार बनने के छह माह पूरे होने के बाद ही कुछ बोलेंगे। इस बीच नीतीश कुमार जितनी गफलत में रहेंगे उतना ही अच्छा है।" नीतीश को दूसरी बार सत्ता सम्भाले 24 अप्रैल को छह माह हो जाएंगे।
उन्होंने कहा, "राज्य सरकार 'सेवा का अधिकार' (राइट टू सर्विस) कानून की बात करती है लेकिन वह 'मकान का अधिकार' कानून की बात क्यों नहीं करती। आज राज्य में गरीबों के पास रहने के लिए मकान नही हैं। जब रहने के लिए घर ही नहीं होगा तो 'सेवा का अधिकार' कानून का लोग क्या करेंगे।"
विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद स्वयं के 'गायब' हो जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले ही कह दिया था कि वह सरकार बनने के छह माह बाद ही कुछ बोलेंगे। पासवान ने कहा कि इस बीच उन्होंने अन्य राज्यों में पार्टी का विस्तार किया है।
उन्होंने कहा, "सरकार के छह महीने पूरे होने के बाद जून से लोजपा नीतीश सरकार की विफलताओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए राज्य भ्रमण करेगी।" इस अभियान में राजद के साथ रहने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर सभी कार्यक्रम में राजद साथ ही होगा तो दोनों दल एक ही नहीं हो जाएंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि जहां राजद की आवश्यकता होगी उसके नेता वहां जरूर रहेंगे।
पासवान ने नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा, "राज्य सरकार केंद्र सरकार पर भेदभाव करने का आरोप लगाती है परंतु केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत जितना राशि दी है वह भी खर्च नहीं हो रही है।" उन्होंने बताया कि मनरेगा के तहत पिछले तीन वर्षो में आवंटित किए गए 1,883 करोड़ रुपये बिहार सरकार खर्च नहीं कर पाई और विकास का ढिंढोरा पीट रही है।
पासवान ने कहा कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के उत्थान के लिए केंद्र सरकार राज्य को प्रतिवर्ष 35,000 करोड़ रुपये भेजती है। मुख्यमंत्री यह बताएं कि यह राशि कहां और कैसे खर्च हो रही है।
बिहार में तीन प्रमुख समस्याओं के विषय पर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि राज्य में बिजली, पानी और शिक्षा की कमी मुख्य समस्याएं हैं जिसका हल वर्तमान सरकार के बूते के बाहर की चीज लगती है। पासवान ने कहा कि साक्षरता और शिक्षा की गुणवत्ता दो अलग-अलग चीजें हैं। बिहार में साक्षरता दर भले ही बढ़ी हो परंतु शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट आई है। उन्होंने दावा किया कि केवल राज्य सरकार अपने पूर्व के 'कुशासन' वाली सरकार से तुलना कर ले तो स्थिति का अहसास हो जाएगा कि उनके विकास के दावे कितने खोखले हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने इस मामले में कुछ बोलने से परहेज किया परंतु इतना जरूर कहा कि उन्होंने तो सभी नेताओं को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि जेपी आंदोलन से बड़ा आंदोलन नहीं हो सकता। चार दिनों के अंदर कोई बड़ा आंदोलन नहीं होता।
उन्होंने कहा कि लोजपा पश्चिम बंगाल में 35, केरल में 40, तमिलनाडु में 29 तथा पांडिचेरी में चार सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
बाहर से आने वाले लोगों द्वारा बिहार की प्रशंसा करने पर पासवान ने कहा कि आतिथ्य धर्म होता है जिसका पालन लोग करते हैं। उन्होंने कहा कि कोई किसी के घर आएगा तो क्या गाली देगा। जो बाहर से यहां आते हैं वह यहां के बारे में अच्छा ही बोलते हैं।
केंद्र सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोपों के सम्बंध में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ईमानदार छवि के हैं लेकिन उनके पहले और दूसरे कार्यकाल में अंतर जरूर है।