21 अप्रैल 2011
लंदन। ऊर्जा बचाने वाले काम्पेक्ट फ्लोरेसेंट लैम्प्स (सीएफएल) बल्ब निसंदेह हमारे बटुए के लिए अच्छे हैं लेकिन इनका हमारे स्वास्थ्य पर घातक असर पड़ सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि जलाए जाने के साथ ही ये बल्ब कैंसर पैदा करने वाले रसायन छोड़ते हैं।
जर्मनी के वैज्ञानिकों के मुताबिक इन बल्बों का अधिक समय तक उपयोग घातक हो सकता है। खासतौर पर इन्हें किसी व्यक्ति के सिर के करीब जलाए जाने से कैंसर का ज्यादा खतरा है।
बर्लिन एलैब लैब में में इन बल्बों का परीक्षण करने वाले पीटर ब्राउन ने कहा, "ऊर्जा बचाने वाले बल्ब कार्सिनोजेनिक होते हैं। इन्हें मनुष्य के पर्यावरण से जितना हो सके उतना दूर रखना चाहिए।"
यूरोपीयन यूनियन के निर्देश पर ब्रिटेन में इन बल्बों का बहुतायत में उपयोग हो रहा है। समचार पत्र 'टेलीग्राफ' के मुताबिक इस वर्ष के अंत तक ब्रिटेन में पारंपरिक फिलामेंट वाले बल्बों का उपयोग पूरी तरह बंद हो जाएगा।
लेकिन जर्मनी के वैज्ञानिक मानते हैं कि ऊर्जा बचाने वाले काम्पेक्ट फ्लोरेसेंट लैम्प्स (सीएफएल) बल्बों से स्ट्रीन, फेनोल और नेप्थालीन जैसे जहरीले पदार्थ निकलते हैं।
फेडरेशन ऑफ जर्मन इंजीनियर्स के आंद्रेस किचनर ने कहा, "काम्पेक्ट फ्लोरेसेंट लैम्प्स (सीएफएल) बल्बों के आसपास इलेक्ट्रानिक स्मॉग जमा हो जाता है।"
"यही कारण है कि इनका उपयोग बहुत चतुराई से करने को कहा जाता है। इन बल्बों का उपयोग ऐसे स्थान पर नहीं करना चाहिए, जहां हवा के आने-जाने का रास्ता न हो। इसे सिर के करीब बिल्कुल नहीं जलाना चाहिए।"
इस सम्बंध में इजरायल के हाएफा विश्वविद्यालय के जीवविज्ञान के प्रोफेसर अब्राहम हाइम ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें कहा गया था कि देर रात तक उपयोग में लाए जाने के कारण काम्पेक्ट फ्लोरेसेंट लैम्प्स (सीएफएल) स्तन कैंसर के मामलों को बढ़ा सकते हैं।