27 अप्रैल 2011
मुम्बई/नई दिल्ली। विमानन कम्पनी एयर इंडिया के करीब 600 पायलटों के हड़ताल पर जाने के कारण दिल्ली में कम से कम 10 और मुम्बई में छह उड़ानों को रद्द करना पड़ा है। पूर्व में इंडियन एयरलाइंस के कर्मचारी रहे ये पायलट अपने वर्तमान साथियों के बराबर वेतन और बेहतर माहौल की मांग को लेकर मंगलवार मध्य रात्रि से हड़ताल पर हैं। सरकार ने देश की दोनों प्रमुख एयरलाइंसों इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया का विलय कर दिया था। पायलटों की हड़ताल के कारण इस भीड़-भाड़ वाले मौसम में यात्रियों को खासी परेशानी हो सकती है।
दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा के अधिकारियों के मुताबिक पायलटों की अनुपस्थिति के कारण सात घरेलू और तीन अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को रद्द करना पड़ा जबकि मुम्बई में छह उड़ानों को रद्द करना पड़ा है। सूत्रों ने बताया कि एयरलाइंस के प्रबंधन ने उड़ान संचालित करने के लिए कार्यकारी और प्रबंधन से जुड़े 150 पायलटों की सेवा लेने का फैसला किया है। बुधवार सुबह तक एयर इंडिया कार्यकारी पायलटों की सहायता से मुम्बई से केवल 10 उड़ानों का संचालन कर पाई।
उधर केरल के तीन हवाई अड्डों पर संचालन कुल मिलाकर प्रभावित नहीं हुआ है। एयर इंडिया के एक अधिकारी ने बताया कि कोई उड़ान प्रभावित नहीं हुई है। शारजाह के लिए एक उड़ान कार्यकारी पायलट की सहायता से संचालित होगी। इस बीच विमानन कम्पनी के एक शीर्ष अधिकारी ने मुम्बई में पायलटों के इन आरोपों को 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया है। अधिकारी ने कहा कि कुछ समय पहले एयर इंडिया ने वेतन में असमानता और कार्य माहौल के बारे में पायलटों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विचार के लिए कदम उठाया था।
नागरिक उड्डयन मंत्री व्यालार रवि ने बाम्बे उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश सी. एस. धर्माधिकारी के नेतृत्व में एक चार सदस्यीय समिति का गठन किया था। अधिकारी ने कहा, "समिति की रिपोर्ट तीन माह के भीतर आने की सम्भावना है। हम मानते हैं कि विरोध पर उतरने से पहले पायलटों को इसके लिए इंतजार करना चाहिए।" इस बीच उड़ानों के प्रभावित होने से नागपुर, चेन्नई, नई दिल्ली और अन्य गंतव्यों तक जाने वाले यात्रियों को अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी है।
इसी के साथ विमानन कम्पनी एयर इंडिया के अध्यक्ष अरविंद जाधव ने बुधवार को कहा कि हड़ताल पर गए पायलटों का व्यवहार गैर जिम्मेदाराना है और यात्रियों की हो रही परेशानी से उन्हें कोई लेना-देना नहीं है। यादव ने हड़ताल पर गए करीब 600 पायलटों को लिखे पत्र में कहा है, "मध्यरात्रि में भारतीय व्यावसायिक पायलट संघ का हड़ताल पर जाने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण और गलत है।"
उन्होंने कहा, "क्यों कुछ पायलट अधीर, गैरजिम्मेदार एवं अनुचित कदम उठा रहे हैं और कम्पनी की छवि को खराब करने पर अड़े हुए हैं। क्यों हमारे संरक्षकों और यात्रियों की परेशानी से उनका कुछ लेना-देना नहीं है।" उन्होंने कहा कि जब वे केंद्रीय श्रम आयोग की सुलह प्रक्रिया में शामिल हैं तो ऐसे में हड़ताल की क्या जरूरत है। उन्होंने कहा, "पायलटों ने उच्च न्यायालय को वचन दिया था कि वे परेशानियां खड़ी नहीं करेंगे।"
जाधव ने कहा कि ऐसी आशा की जा रही थी कि पायलट अवकाश प्राप्त न्यायाधीश डी. एन. धर्माधिकारी की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय समिति के सामने अपना पक्ष रखेंगे। समिति ने सोमवार से अपना काम शुरू कर दिया है और शीघ्र ही वह अपनी रिपोर्ट देने वाली है। जाधव ने कहा, "मैं व्यक्तिगत रूप से पायलटों, जो हमारे परिवार के सदस्य हैं, से अपील करूंगा कि वे वार्ता की मेज पर आएं और समस्या के तुरंत समाधान में भागीदार बनें।" इस बीच एयर इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि प्रबंधन ने भारतीय व्यावसायिक पायलट संघ की मान्यता खारिज करने का फैसला किया है। इसके तहत दिल्ली और मुम्बई में संघ के दफ्तरों को सील कर दिया गया है। प्रवक्ता ने कहा, "हड़ताल अवैध है, यह अदालत की अवमानना है।"