पं. विजय पाठक
वास्तु शास्त्र भवन-निर्माण का विज्ञान है। वास्तु के आधार पर बना भवन ब्रह्माण्ड से सकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित करता है और भवन के अंदर ऊर्जा का संतुलन बना रहता है, जिससे वहाँ सुख, शांति, प्रगति और सौहार्द का माहौल उत्पन्न होता है। वास्तु-शास्त्र के सिद्धांत ठोस वैज्ञानिक तथ्यों पर टिके हुए हैं, जिनका प्रयोग जीवन को सही दिशा देने और अधिकतम फल प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। इन सिद्धांतों के आधार पर यदि भवन बनाया जाए और वहाँ रहते या कार्य करते समय कुछ छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखें, तो निश्चित ही बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। आइए, चर्चा करते हैं ऐसे ही कुछ सिद्धांतों की, जो जीवन को सुखमय और आनंदपूर्ण बनाने के लिए ज़रूरी हैं।
वास्तु शास्त्र में पेड़-पौधों को बहुत महत्व दिया गया है। वास्तु के अनुसार मज़बूत तने वाले या ऊँचे-ऊँचे पौधे उत्तर-पूर्व, उत्तर व पूर्व दिशा में ही होने चाहिए। घर के आस-पास या घर के अन्दर कैक्टस, कीकर, बेरी या अन्य कांटेदार पौधे व दूध वाले पौधे लगाने से घर के लोग तनावग्रस्त, चिड़चिड़े स्वभाव के हो जाते हैं और ऐसे पौधे स्त्रियों के स्वास्थ्य को हानि पहुँचाते हैं। घर में तेज़ ख़ुश्बूदार पौधों को नहीं लगाना चाहिए। साथ ही घर में चौड़े पत्ते वाले पौधे, बोनसाई व नीचे की तरफ़ झुकी बेलें नहीं लगानी चाहिए। पौधे लगाते समय ध्यान रखें कि पौधे सही प्रकार बढ़ें, सूखें नहीं और सूखने पर उन्हें तुरन्त बदल दें। घर में फलदार पौधे लगाना भी कभी-कभी हानिकारक हो सकता है, क्योंकि जिस वर्ष फलदार पौधे पर फल कम लगें या न लगें, इस वर्ष आपको नुक़सान या परेशानी का सामना ज़्यादा करना पड़ेगा।
घर में तुलसी का पौधा उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में रखें और तुलसी का पौधा ज़मीन से कुछ ऊँचाई पर ही लगाना उचित है। तुलसी के पौधे पर कलावा व लाल चुन्नियाँ आदि नहीं बांधनी चाहिए। तुलसी का पौधा अपने आप में पूर्ण मन्दिर के समान माना जाता है, इसलिए इसका किसी भी प्रकार निरादर नहीं होना चाहिए। घर में पीले फूलों वाले पौधे लगाना शुभ माना जाता है। बैडरूम में पौधे नहीं लगाने चाहिए, इसके स्थान पर आर्टिफिशल पौधे रख सकते हैं। गमलों की आकृति कभी भी नोंकदार नहीं होनी चाहिए। याद रखें कि गमलों में डाली जाने वाली मिट्टी शमशान, कब्रिस्तान या कूड़ेदान आदि से न लाई गई हो, अन्यथा काफ़ी आर्थिक हानि हो सकती है। पौधे लगाते समय ध्यान रखें कि पौधे इस तरह से लगाये जायें जिसमें कोंपलें, पत्तियाँ व फूल जल्द ही निकलें। ऐसे पौधे अच्छे भाग्य के परिचायक होते हैं।
घर में सौहार्दपूर्ण वातावरण के दृष्टिकोण से सीढ़ियों का विशेष महत्व है। घर के मुख्यद्वार के सामने सीढ़ियाँ कभी न बनाएँ। सीढ़ियाँ गिनती में 5, 7, 11, 13, 17, 21 होनी चाहिए। सीढ़ियों के नीचे बाथरूम, मन्दिर, शौचालय, रसोई या स्टोर रूम न बनायें, नहीं तो मानसिक संताप का सामना करना पड़ सकता है। सीढ़ियाँ दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनवाएँ। अगर ऐसा सम्भव न हो, तो वास्तु के अनुसार एन्टी क्लोकवाईस सीढ़ियों का निर्माण ठीक माना गया है।
मकान की छत पर घर के पुराने, बेकार या टूटे -फूटे समान को न रखें। घर की छत हमेशा साफ़-सुथरी होनी चाहिए। शयनकक्ष में पलंग/चारपाई की व्यवस्था ऐसी करें कि सोने वाले का सिर दक्षिण एवं पैर उत्तर दिशा की तरफ हों। शयनकक्ष में दर्पण ऐसे न लगा हो कि सोने वाला व्यक्ति का कोई भी अंग उसमें प्रतिबिंबित हो। घर में दर्पणों को लगाते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। दर्पण के लिए हमेशा उत्तर-पूर्व, उत्तर, पूर्व दिशा को ही उत्तम माना गया है। घर के भारी सामान जैसे अलमारी, सन्दूक, भारी वस्तुओं के लिए दक्षिण व पश्चिम दिशा का स्थान चयन करना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन निर्माण के लिए चुना गया भूखण्ड आयताकार या वर्गाकार होना चाहिए। जिसकी सभी चारों दीवारें 90 अंश का कोण बनाती हों। ऐसा प्लॉट वास्तु नियमानुसार उत्तम श्रेणी का प्लॉट माना जाता है। वास्तु के नियमों को ध्यान में रखकर काफी हद तक हम अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं। भूखण्ड का चयन करते समय हमेशा ध्यान रखें कि भवन निर्माण के लिए चुना गया भूखण्ड बन्द गली व नुक्कड़ का न हो। ऐसे मकान में निवास करने वालों को सन्तान की चिन्ता और नौकरी, व्यापार में हानि, शारीरिक कष्ट आदि परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
वास्तु की इन छोटी-छोटी बातों को याद रखकर सरलता से जीवन में आने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है और जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है। वास्तु का अगाध विज्ञान परेशानियों का अचूक समाधान देता है। आइए, वास्तु शास्त्र का उपयोग कर जीवन को सकारात्मक दिशा दें।