5 मई 2011
भोपाल। भोपाल गैस त्रासदी के कारण कैंसर व गुर्दे की बीमारियों का शिकार बने लोगों की मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। करीब तीन हजार मरीज अब भी जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं।
गैस पीड़ितों के लिए संघर्ष करने वाले चार संगठनों ने दावा किया है कि बीते एक वर्ष मे कैंसर व गुर्दे की बीमारियों से पीड़ित चार मरीजों की मौत हो चुकी है। ऐसे ही एक मामले में शाहीन की मां सितारा बी फेंफड़े के कैंसर से पीड़ित थीं और उन्होंने अप्रैल में दुनिया को अलविदा कह दिया।
इसी तरह साजिद अली के पिता की कैंसर के कारण मौत हो चुकी है। रक्त कैंसर से पीड़ित इरफान ने जनवरी व गुर्दे की मरीज गुड्डो बाई ने फरवरी में दम तोड़ दिया। इन मृतकों के आश्रितों ने उनकी जिंदगी बचाने के लिए राहत राशि के लिए आवेदन किया था मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। दूसरी ओर मंत्री समूह ने कैंसर व गुर्दा पीड़ितों को दो लाख रुपये की मदद देने का निर्णय लिया था, इस राशि में से पूर्व में मिल चुकी मदद को कम कर दिया जाएगा।
भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की रशीदा बी का कहना है कि भोपाल में लगभग 3000 हजार कैंसर व गुर्दा पीड़ित हैं, जिन्हें अनुदान राशि मिलनी थी, मगर उनमें से एक भी पीड़ित को राशि नहीं मिल पाई है।
भोपाल ग्रुप ऑफ इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कल्याण आयुक्त पर असंवेदनशील रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया है कि मंत्री समूह ने जून 2010 तथा मार्च 2011 में हुई बैठक में जून 2011 तक राहत राशि बांटने के निर्देश दिए थे लेकिन उन्हें कल्याण आयुक्त के काम करने की रफ्तार से इस निर्देश पर अमल होने में शक है।