7 मई 2011
वाशिंगटन। अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन और उसके सहायक अयमान अल-जवाहिरी छह वर्ष पहले ही अलग हो गये थे, लेकिन अब जवाहिरी संगठन का सरगना बन सकता है।
'वॉल स्ट्रीट जर्नल' ने एक वरिष्ठ पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी के हवाले से कहा है कि अल जवाहिरी ने 1988 में अलकायदा की स्थापना करने में लादेन की मदद की थी और उसने अफगानिस्तान व पाकिस्तान में संगठन की गतिविधियों का नेतृत्व किया था। बाद में लादेन ने जवाहिरी को दरकिनार कर दिया था, क्योंकि उसके पास अलकायदा की गतिविधियों के लिए धन नहीं रह गया था और संगठन में उसकी लोकप्रियता घटने लगी थी।
पाकिस्तानी अधिकारी के हवाले से कहा गया है, "दोनों छह वर्ष पहले ही अलग हो गए थे।"
'वॉल स्ट्रीट जर्नल' ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से कहा है कि उन्हें दोनों के बीच अलगाव के बारे में जानकारी नहीं है। आतंकवाद निरोधी एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से कहा गया है, "दोनों अलग हो गए थे? मैं ऐसा नहीं समझता। मैंने खुफिया रपटों में ऐसा कुछ भी नहीं देखा है।"
'वॉल स्ट्रीट जर्नल' ने एक अन्य अमेरिकी अधिकारी के हवाले से कहा है कि इस बात को साबित करने के पुख्ता सबूत हैं कि लादेन के सामने धन की समस्या थी। अधिकारी ने कहा, "हमें पता है कि धन एक मुद्दा था।"
जवाहिरी को अलकायदा के मुख्य विचारक और सामरिक कमांडर के रूप में देखा जाता था और लादेन को संगठन के लिए प्रेरणा और मास्टरमाइंड के रूप में देखा जाता था।
'वॉल स्ट्रीट जर्नल' ने कहा है कि समझा जाता है कि जवाहिरी पाकिस्तान के कबायली इलाके में स्थित किसी ठिकाने से अपनी गतिविधियों का संचालन करता था। कई लोग मानते थे कि लादेन भी उसी इलाके में होगा।
'वॉल स्ट्रीट जर्नल' में कहा गया है कि दोनों के बीच अलगाव की बात यह समझने में मदद कर सकती है कि लादेन इसी कारण पाकिस्तान के एबटाबाद शहर चला गया था, जहां अमेरिकी बलों ने उसे सोमवार तड़के मार गिराया था।
जवाहिरी (59) को लादेन का स्वीकार्य वारिस माना जाता है। जर्नल ने कहा है कि अमेरिकी अनुसंधानकर्ताओं द्वारा जुटाए गए अलकायदा के दस्तावेजों के अनुसार संगठन में नेतृत्व उत्तराधिकार की व्यवस्था स्पष्ट रूप से तय है। सरगना के गिरफ्तार होने या मारे जाने के बाद उसका सहायक संगठन का सरगना बन जाएगा।
अलकायदा सदस्यों की वफादारी की शपथ सरगना की कुर्सी के प्रति है, न कि किसी व्यक्ति के प्रति।