उपाध्याय का जन्म भारत में बिहार के मुजफ्फरपुर में हुआ था और उनकी शिक्षा-दीक्षा बनारस में हुई थी। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए महात्मा गांधी की लड़ाई में भी हिस्सा लिया था। 1970 के दशक में वह संयुक्त राष्ट्र में नेपाल के दूत भी रहे। नेपाल में माओवादियों के विद्रोह के दौरान उनके साथ शांति वार्ता के लिए वह राज्य सरकार के प्रतिनिधि भी रह चुके हैं।
एवरेस्ट पर उनकी चढ़ाई वरिष्ठ नागरिकों के माउंट एवरेस्ट अभियान का हिस्सा थी, जिसके तहत तीन साल पहले 76 वर्षीय नेपाली नागरिक मीन बहादुर शेरचन ने एवरेस्ट पर चढ़ाई में सफलता पाई थी। उपाध्याय हिमालय की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ाई कर शेरचन का यह रिकॉर्ड अपने नाम करना चाहते थे।
अपना यह महत्वाकांक्षी मिशन शुरू करने से पहले उन्होंने कहा था कि वह दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि बुजुर्ग व्यक्ति भी नई उपलब्धि हासिल कर सकते हैं।
हालांकि अभियान के बीच में ही उनका निधन हो गया, लेकिन इससे एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले उनके दल के अन्य बुजुर्गो में उत्साह कम नहीं हुआ है। मंगलवार को उन्होंने उपाध्याय के निधन पर शोक जताया। लेकिन लौटने का खयाल किए बगैर वे अपने सपनों को साकार करने के लिए आगे बढ़ने को तैयार हैं।
इस बार 258 लोग माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। इनमें पुरुषों की औसत आयु 50 वर्ष से अधिक और महिलाओं के लिए करीब 40 वर्ष निर्धारित की गई है।
पर्वतारोहितयों के इस दल में शामिल बुजुर्गो में जापान के 71 वर्षीय मत्सुमोतो तत्सुओ, ब्राजील की 58 वर्षीया हेलेना कोएलो, अमेरिका के 69 वर्षीय विलियम मिशेल बर्क, जापान के ही 68 वर्षीय तादेक कुसोंकी तथा तोजी शिगेओ शामिल हैं।