HindiLok Mobile edition
मुख्य पृष्ठ | राशिफल | खेल | बॉलीवुड

राहुल पहले अपने घर में लड़ाई लड़ें : मायावती

12 मई 2011

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने गुरुवार को कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी पर निशना साधा। किसानों की लड़ाई लड़ने का ऐलान करने वाले कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि पहले वह अपने घर में यह लड़ाई लड़ें।

मायावती ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बेहतर होता कि कांग्रेस के युवराज भट्टा पारसौल में जहां के किसानों को उनकी जमीन का मुआवजा दिया जा चुका है, की बजाए अपनी मां सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में रेल कोच कारखाने के लिए अधिग्रहित की गई किसानों की जमीन के मुआवजे के मुद्दे पर वहां संघर्ष करते। उनका कहना था कि बुधवार को सोनिया के रायबरेली दौरे के दौरान प्रभावित किसानों ने उनका काफिला रोककर मुआवजे के मुद्दे को उठाया था। किसानों ने उनसे उचित मुआवजा दिए जाने का मसला उठाया।

मायावती ने यह भी कहा कि अगर राहुल गांधी किसानों के बड़े फिक्रमंद हैं तो वह पहले अपने घर (कांग्रेस) में लड़ाई लड़े। क्योंकि उनकी पार्टी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को ही नई भूमि अधिग्रहण नीति के बारे में फैसला करना है।

उन्होंने कहा, "लगता है कि कांग्रेस के युवराज की अपने घर (कांग्रेस पार्टी) में चल नहीं रही है इसीलिए वह अपना गुस्सा कल की ड्रामेबाजी (भट्टा पारसौल की घटना) के जरिए निकाल रहे हैं।"

मायावती ने इशारों में राहुल गांधी सहित अन्य विरोधी दलों के नेताओं को किसानों की आड़ में कानून-व्यवस्था न बिगाड़ने की चेतावनी भी दे डाली। उन्होंने कहा, "कोई भी नेता कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो उसने यहां कानून-व्यवस्था तोड़ने की कोशिश की तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसका उदाहरण सभी ने कल देख लिया है।"

राज्य के तनावग्रस्त भट्टा पारसौल गांव में एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में धरने पर बैठे राहुल को बुधवार देर रात गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में हालांकि उन्हें रिहा कर दिया गया लेकिन इससे नाराज कांग्रेस ने उनकी गिरफ्तारी को अलोकतांत्रिक करार देते हुए गुरुवार को राज्य के सभी जिलों में विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया।

मायावती ने कहा कि भट्टा पारसौल की घटना का जमीन के मुआवजे से कोई लेना देना नहीं है बल्कि यह विरोधी पार्टियों की घिनौनी राजनीति का नतीजा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ पार्टियों ने राजनीतिक षडयंत्र के तहत किसानों की आड़ में अराजक तत्वों के जरिए भट्टा पारसौल की घिनौनी घटना को अंजाम दिलवाया।

उन्होंने कहा, "भट्टा पारसौल की घटना को जबरन ही किसानों के जमीन के मुआवजे से जोड़कर झूठा प्रचार किया जा रहा है और प्रदेश की जनता को गुमराह किया जा रहा है।"

उन्होंने कहा, "वास्तव में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण मास्टर प्लान के तहत किसानों की यह जमीन ली गई है ना कि गंगा-यमुना एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिए। किसानों ने इसका पूरा मुआवजा भी उठा लिया था। भट्टा पारसौल की हाल की घटना का जमीन का मुआवजे से कोई लेना देना नहीं है। इसे गलत तरीके से प्रचार किया जा रहा है। हमारी सरकार इसकी निंदा करती है।"

मायावती ने कहा, "यह विरोधी पार्टियों की घिनौनी राजनीति है। कुछ पार्टियों ने राजनीतिक षडयंत्र के तहत किसानों की आड़ में अराजक तत्वों की मदद से इस घिनौनी हरकत को अंजाम दिया है। जिन अराजक तत्वों को इन दलों ने बिठाया था, उन्होंने ही सरकारी काम से गए तीन कर्मचारियों को भट्टा पारसैल गांव में बंधक बनाया था।"

भूमि अधिग्रहण के सम्बंध में देशभर में एक जैसी नीति होने को उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों में आए दिन मचने वाले बवाल का कारण बताया। उनके मुताबिक इससे राज्य के विकास पर असर पड़ता है।

उन्होंने कहा, "भूमि अधिग्रहण के सम्बंध में हमने उत्तर प्रदेश में जो नीति बनाई है, उसके हिसाब से केंद्र सरकार किसानों को पैसे देना नहीं चाहती और यही उसके गले की हड्डी बनी हुई है। यदि सही मायने में वह कांग्रेस की हितैषी है तो उसे एक नीति बनानी चाहिए।"

मायावती ने कहा, "केंद्र सरकार ऐसी नीति लाती है कि बसपा उसका समर्थन करेगी।"

उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि उत्तर प्रदेश में चुनाव नजदीक आ गए हैं इसलिए संसद में लड़ने की बजाए ये राजनीतिक दल उत्तर प्रदेश में आकर लड़ रहे हैं। इन दलों ने उत्तर प्रदेश को संसद बना दिया है। जबकि भूमि अधिग्रहण के मुद्दे का उत्तर प्रदेश से कोई लेना देना ही नहीं है।


Home | About Us | Feedback | Privacy Policy | Terms