13 मई 2011
ग्रेटर नोएडा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा साहबेरी गांव में किए गए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया निरस्त कर दी। यहां प्रमुख भवन निर्माताओं आम्रपाली, सुपरटेक एवं महागुन ने नोएडा एक्सटेंशन के नाम से अपनी आवासीय योजनाओं की शुरुआत की थी।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में किसानों को अपना विरोध दर्ज करने का मौका न देने पर साहबेरी गांव की पूरी जमीन को गैर अधिसूचित कर दिया। किसानों का अपना विरोध दर्ज करने के लिए भूमि अधिग्रहण कानून की धारा पांच के तहत मौका दिया जाना था।
ज्ञात हो कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने गत 10 जुलाई 2009 को साहबेरी की ग्रामीण भूमि को अधिसूचित किया और इसके बाद इस भूमि को राजस्व के अभिलेखों में दर्ज कर इस पर भौतिक रूप से कब्जा कर लिया।
प्राधिकरण ने किसानों से अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा देने के लिए जिला राजकोष में राशि जमा किया और भूमि अधिग्रहण कानून की प्रक्रिया पूरी करने के बाद अधिग्रहित भूमि को रियल इस्टेट के कारोबारियों को आवंटित कर दी।
किसान नेता सत्य पाल चौधरी और 20 प्रभावित किसानों ने अधिग्रहण प्रक्रिया को चुनौती दी थी और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में इसके खिलाफ याचिका दायर की थी।