27 मई 2011
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) के आतंकवादी देवेंदर सिंह भुल्लर की दया अपील गुरुवार को खारिज कर दी। भुल्लर को वर्ष 1993 में कार विस्फोट के एक मामले में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी। इस विस्फोट में 12 लोगों की मौत हो गई थी और युवक कांग्रेस नेता एम.एस. बिट्टा सहित 29 लोग घायल हो गए थे।
सरकार के शीर्षस्थ सूत्रों के अनुसार राष्ट्रपति ने मृत्युदंड की सजा पा चुके कैदी के आवेदन को खारिज कर दिया तथा 'रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेज दी गई है।'
सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति द्वारा दया अपील को खारिज करने का यह दूसरा मामला है।
ज्ञात हो कि चार माह पहले राष्ट्रपति ने एम.एन. दास की दया अपील खारिज कर दी थी।
दास के जमानत पर छूटने के बाद एक व्यक्ति की हत्या करने का दोषी कारार दिया गया था। राष्ट्रपति के पास उसका आवेदन 21 अक्टूबर, 2010 से ही विचाराधीन था। इस समय वह गुवाहाटी के केंद्रीय कारागार में बंद है।
भुल्लर का मामला हालांकि उससे भी पुराना है। उसे 2001 में दोषी करार दिया गया था। राष्ट्रपति के पास उसका आवेदन जनवरी, 2003 से विचाराधीन था।
भुल्लर 11 सितम्बर 1993 को 5, रायसीना रोड स्थित युवक कांग्रेस कार्यालय के सामने बिट्टा पर हमले का मास्टरमाइंड था।
नई दिल्ली के बीचोबीच हुए आरडीएक्स विस्फोट से समूचा देश सकते में आ गया था और इसी घटना ने बिट्टा को आतंकवाद विरोधी मोर्चा गठित करने के लिए प्रेरित किया था।
भुल्लर को 25 अगस्त, 2001 में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने 27 दिसम्बर, 2006 को उसकी विशेष अवकाश याचिका खारिज कर दी थी।
वह निर्वासन के बाद 1995 में जर्मनी से भारत आया था। उसे तिहाड़ जेल में कड़ी सुरक्षा वाले वार्ड में कैद किया गया था।
गौरतलब है कि सिख समुदाय एवं मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भुल्लर की दया अपील स्वीकार करने की मांग को लेकर अभियान चलाया था।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति ने भुल्लर की दया अपील तब खारिज की जब सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को दया अपील के निस्तारण में आठ वर्ष विलम्ब होने पर 'आश्चर्य' प्रकट किया। अदालत ने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए कि विलम्ब कहीं सरकार की ओर से तो नहीं हुआ।