28 मई 2011
नई दिल्ली। आपको याद है वो युवराज सिंह, जो लगभग हर मैच के लिए ऐसे उत्साहित नज़र आते रहे हैं जैसे ये उनका पहला मैच हो। वो युवराज सिंह, जो हारी हुई बाजी को अपने दम पर जीत लेते हैं। वो युवराज सिंह, जो विश्व कप-2011 के सितारे थे। वो युवराज सिंह, जो चैन्नई की प्रतिकूल परिस्थिती में तबियत खराब होने के बावजूद टीम इंडिया को जीत दिलाने में सफल हो सके थे। युवराज, जिन्होंने दावा किया था कि कोई आराम करना चाहे तो करे, वो वेस्ट इंडीज दौरे के लिए उपलब्ध हैं। आज उसी युवराज सिंह की तबियत को अचानक ऐसा क्या हुआ कि वो वेस्ट इंडीज़ दौरे के लिए अनफिट हो गए।
कैरिबियाई दौरे के लिए कुछ दिन पहले तक उत्साहित युवी को अचानक ऐसी कौन सी बीमारी ने आ घेरा। कहा जा रहा है कि उन्हें निमोनिया हैं और उन्हें 10-15 दिन के आराम की ज़रूरत हैं। लेकिन कुछ दिन पहले तक उत्साही युवी को अचानक बीमारी ने आ घेरा, यह बात हजम कर पाना थोड़ा मुश्किल हैं।
उनकी बीमारी के पीछे कहीं ना कहीं नाराज़गी, उदासी और मायूसी छिपी हैं। यूवी ने कुछ दिन पहले कहा था कि वो दौरे के लिए एकदम तैयार हैं। उन्हें लगा होगा कि महेंद्र सिंह धोनी, सचिन और सहवाग की अनुपस्थिति में टीम का सबसे सीनियर और अनुभवी खिलाड़ी होने के नाते वे ही कप्तान बनेंगे। लेकिन बीसीसीआई ने गौतम गंभीर को कप्तान और सुरेश रैना को उप-कप्तान बनाकर युवी को निराश कर दिया।
हालांकि युवराज का कप्तानी का अनुभव कुछ खास नहीं रहा हैं, फिर चाहे वो किंग्स इलेवन पंजाब की कप्तानी हो या पुणे वॉरियर्स की। लेकिन वर्ल्ड कप में शानदार परफॉर्मेंस देने के बाद युवी के मन में भी कप्तानी के सपने पलने लगे होंगे। वो पिछले 10 सालों से अधिक समय से टीम इंडिया के साथ हैं और वन डे में कई बार उन्होंने अपने जलवे भी दिखाए हैं। फिर भी बीसीसीआई ने उन्हें छोड़कर गौतम गंभीर को कप्तान बना दिया। यहां तक कि सिलेक्टरों ने उन्हें उप-कप्तान बनाने के लायक भी नहीं समझा। उपकप्तानी का पद सुरेश रैना को सौंपा गया।
गंभीर का कप्तान बनाया जाना तो युवी सह गए लेकिन गंभीर के टीम से बाहर होने के बाद रैना का कप्तान चुना जाना उन्हें गंवारा नहीं। इसलिए उन्होंने टीम इंडिया से बीमारी का बहाना बना लिया।
ये भी हो सकता हैं कि ये सब बातें गलत हो तो भी एक सवाल यह उठता हैं कि क्या युवराज सिंह को बीमारी के बारे में टेस्ट टीम की घोषणा वाले दिन ही पता चला। जबकि युवराज सिंह इससे पहले बिना किसी तकलीफ के अपने गृह नगर में आयोजनों में हिस्सा ले रहे थे।