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नेपाल में संकट के नए बादल छाए, काठमांडू में हाई अलर्ट

28 मई 2011     

काठमांडू। नेपाल में अंतरिम संविधान की मियाद शनिवार आधी रात समाप्त होने जा रही है और शीर्ष राजनीतिक पार्टियों में अभी तक इसकी मियाद बढ़ाए जाने को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई हैं। ऐसे में राजधानी काठमांडू में अशांति का वातावरण बना हुआ है, जिसके चलते सरकार ने सुरक्षा कड़ी करने के आदेश दिए हैं। इस बीच संसद के पास विरोध प्रदर्शन कर रहे दर्जनों लोगों को दंगा पुलिस पकड़ कर ले गई।

नेपाली संसद के आधी रात को भंग होने का खतरा पैदा हो गया है। संसद का कार्यकाल एक वर्ष और बढ़ाने की कोशिश शनिवार को बेकार साबित होती दिख रही है, क्योंकि विपक्षी पार्टियों ने इस प्रस्ताव को संसद में पेश किए जाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। इस बीच सुबह हो रही हल्की बारिश की परवाह किए बगैर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पूर्व सांसदों, 2006 के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन में मारे गए या अपंग हुए लोगों के परिजनों और महिलाओं ने नए संविधान की मांग को लेकर संसद के पास जुटना शुरू किया। सरकार ने इस सप्ताह संसद के 50 मीटर के दायरे में सभी रैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया था, लिहाजा दंगा पुलिस पूर्व सांसदों को वाहनों में भर कर वहां से ले गई। शांति समझौते के अनुसार, नेपाल का नया संविधान 28 मई, 2010 को लागू होना था। लेकिन नया संविधान तैयार करने के लिए चुनी गई 601 सदस्यीय संसद ऐसा कर पाने में विफल रही, क्योंकि तीनों प्रमुख पार्टियां- कम्युनिस्ट, माओवादी और नेपाली कांग्रेस (एनसी) -सत्ता संघर्ष में उलझी रहीं। लेकिन पिछले वर्ष जब अंतरिम संविधान मी मियाद समाप्त होने वाली थी, तो तीनों दलों ने मतभेद भुलाकर आधी रात को समय सीमा एक वर्ष बढ़ा दी। लेकिन रिकॉर्ड बताते हैं कि इस विस्तारित एक वर्ष की अवधि के दौरान संसद की बैठक मात्र 95 मिनट हो पाई है। परिणामस्वरूप नया संविधान आज तक नहीं पूरा हो पाया है। अब नेपाल में आधी रात से फिर नए संकट के आसार दिखाई देने लगे हैं। आधी रात को अंतरिम संविधान का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही संसद और सरकार का कार्यकाल भी समाप्त हो जाएगा। तीनों पार्टियां वापस उसी जगह आ खड़ी हुई हैं, जहां पिछले वर्ष खड़ी थीं।


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