28 मई 2011
जयपुर। राज्य के लिंग अनुपात में कम होती महिलाओं की संख्या से चिंतित राजस्थान सरकार ने यहां अल्ट्रासाउंड चिकित्सालयों में जन्म पूर्व लिंग निर्धारण करने पर रोकथाम के लिए और कदम उठाए जाने की योजना बनाई है।
एक अधिकारी ने शुक्रवार को यहां बताया कि इस योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग में जांच दलों की संख्या बढ़ाना और उन्हें छुपे हुए कैमरे और वॉइस रिकॉर्डर जैसे उपकरणों से लैस बनाना शामिल है, ताकी वे इस तरह के चिकित्सालयों पर नजर रख सकें।
राज्य सरकार ने इस तरह के अल्ट्रासाउंड चिकित्सालयों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाले व्यक्ति को दी जाने वाली पुरस्कार राशि भी बढ़ा दी है।
अधिकारी ने बताया, "पहले यह पुरस्कार राशि 1,000 रुपये थी लेकिन अब से यदि शिकायत सही पाई गई तो शिकायतकर्ता को 5,000 रुपये का पुरस्कार मिलेगा।"
जनगणना 2011 के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में शून्य से छह वर्ष आयु के प्रति 1,000 लड़कों पर इसी आयु वर्ग की 883 लड़कियां हैं।
स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "यह बहुत चिंताजनक स्थिति है और इस स्थिति से निपटने के लिए हमें अल्ट्रासाउंड चिकित्सालयों पर नजर रखने के लिए और कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।"
उन्होंने बताया कि अब तक राज्य स्तरीय स्वास्थ्य विभाग का केवल एक ही दल अल्ट्रासाउंड चिकित्सालयों पर नजर रखता है और उनके खिलाफ आने वाली शिकायतों पर कार्रवाई करता है।
उन्होंने कहा, "हमने अब ऐसे जांच दलों की संख्या बढ़ाकर चार करने और उन्हें छुपे हुए कैमरे व वॉइस रिकॉर्डर जैसे उपकरणों से लैस बनाने का निर्णय लिया है।"
उन्होंने कहा कि इस तरह के चिकित्सालयों के खिलाफ 'प्री-कन्सेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स एक्ट' (पीसीपीएनडीटी एक्ट) के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।