ज्ञात हो कि करीब चार वर्षो के अंतराल के बाद भारत के रक्षा सचिव प्रदीप कुमार और उनके पाकिस्तानी समकक्ष सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अथहर अली के बीच 12वें दौर की वार्ता हुई है।
इस दौर में दोनों पक्षों ने 'अपनी सुविधाजनक तिथि' के अनुसार सियाचीन मुद्दे पर 13वीं दौर की वार्ता इस्लामाबाद में करने का निर्णय लिया है। वार्ता की समाप्ति के बाद दोनों पक्षों ने एक संयुक्त बयान जारी किया।
इसके पहले दोनों देशों के बीच पिछले तीन महीनों में विदेश सचिवों, वाणिज्य सचिवों एवं गृह सचिवों के स्तर पर वार्ता हो चुकी है। बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने जारी वार्ता प्रक्रिया का 'स्वागत' किया।
बयान के मुताबिक, "वार्ता सियाचीन मुद्दे पर एक दूसरे की स्थिति की समझ को बढ़ाते हुए खुलकर और सद्भावपूर्ण माहौल में हुई।"
पाकिस्तान ने सियाचीन मुद्दे पर एक 'नॉन पेपर' भी पेश किया। सरकारी भाषा में 'नॉन पेपर' घोषित नीति की एक अनौपचारिक पेशकश होता है।
बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने नवम्बर 2003 से 'लागू' संघर्षविराम को भी स्वीकार किया और सियाचीन मुद्दे का हल निकालने के लिए 'अपने रुख एवं सुझाव पेश' किए।
शिष्टमंडल स्तर की वार्ता के अलावा दोनों रक्षा सचिवों ने अकेले में बात की और पाकिस्तानी शिष्टमंडल सोमवार को रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी से भी मिला।
ये वार्ताएं दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण मुद्दों का हल निकालने के लिए शुरू हुए व्यापक प्रयास की हिस्सा हैं। नवम्बर 2008 के मुम्बई आतंकवादी हमले के बाद दोनों देशों के बीच वार्ता रोक दी गई थी।
अप्रैल 2010 में भूटान की राजधानी थिम्पू में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच हुई बैठक में वार्ता दोबारा शुरू करने का निर्णय लिया गया।
उल्लेखनीय है कि अप्रैल 1984 से सियाचीन ग्लेशियर भारत के नियंत्रण में है। जम्मू एवं कश्मीर में सालटोरो रिज से लगे सियाचीन ग्लेशियर की ऊंचाई 16,000 से लेकर 22,000 फुट है।
पाकिस्तान चाहता है कि भारत ग्लेशियर से अपने सैनिकों को हटाए जबकि भारत ने इस सिलसिले में वार्ता करने से पहले इस्लामाबाद से 110 किलोमीटर लंबी एक्चुअल ग्राऊंड पोजिशन लाइन (एजीपीएल) को प्रमाणित करने के लिए कहा है।