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अनशन पर अड़े बाबा रामदेव, सरकार हुई हलकान

2 जून 2011

नई दिल्ली। भ्रष्टाचार के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी मुहिम में जुटे योग गुरु बाबा रामदेव को न सिर्फ राजनीतिक दलों का बल्कि समाज के हर वर्ग का समर्थन मिलता दिख रहा है। उनकी इस मुहिम से हलकान हुई केंद्र सरकार उन्हें मनाने की हरसम्भव कोशिश कर रही है। यहां तक कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी इस विषय पर आपस में चर्चा करने के लिए बाध्य होना पड़ा है।

भ्रष्टाचारियों के खिलाफ अधिकतम सजा की वकालत करते हुए विदेशी बैंकों में जमा काले धन को वापस लाने की मांग को लेकर य्बाबा रामदेव अनशन के अपने फैसले पर अड़े हैं।

गुरुवार को गुड़गांव में अपने एक निकट सहयोगी से मुलाकात के बाद बाद पत्रकारों से बातचीत में बाबा रामदेव ने कहा, "वैश्विक भूख सूचकांक के मुताबिक 70 लाख से अधिक लोग हर साल भूख से मर जाते हैं। लेकिन जो अप्रत्यक्ष रूप से इन 70 लाख से अधिक लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार हैं, उनके लिए क्या सजा होनी चाहिए?"

उन्होंने कहा, "कोई भी 70 लाख लोगों को मरते नहीं देखता, लेकिन यदि एक भी भ्रष्ट को फांसी पर लटकाया जाता है तो सभी कहते हैं, 'उसे बचाओ'।"

कालेधन के बारे में बाबा रामदेव ने कहा, "विदेश ले जाए गए काले धन को राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित किया जाना चाहिए और काला धन रखने को राजद्रोह के समान समझा जाना चाहिए।"

बाबा के अड़े रहने से हलकान हुई कांग्रेस को यह चिंता सताने लगी है कि कहीं बाबा के आंदोलन को अन्ना हजारे जैसा देशव्यापी समर्थन मिल गया तो उसकी नींद हराम हो सकती है। ऐसे में गुरुवार को कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक बुलाई गई।

इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा बाबा रामदेव को अनशन पर जाने से रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा वार्ता जारी रखने के फैसले का समर्थन किया गया।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की उपस्थिति में हुई इस बैठक में फैसला लिया गया कि ऐसा कोई भी संदेश देश में न जाए कि बाबा रामदेव मामले में केंद्र सरकार और कांग्रेस में मतभेद है।

सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार के प्रतिनिधि बाबा रामदेव से शुक्रवार को वार्ता जारी रख सकते हैं।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आवास पर हुई इस बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम और अन्य नेता उपस्थित थे।

सूत्रों के मुताबिक इस बैठक के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल, संसदीय कार्यमंत्री पी. के. बंसल और मुखर्जी के बीच अलग से बातचीत हुई। ज्ञात हो कि इन तीनों मंत्रियों को बाबा रामदेव से बातचीत करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

इस बीच बाबा रामदेव के समर्थन में गुरुवार को कई जानी मानी हस्तियां सामने आईं। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे भी सामने आए। आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर भी उनके समर्थन में आए।

अपने गांव रालेगांव सिद्धि में पत्रकारों से बातचीत में अन्ना हजारे ने कहा, "उन्हें (बाबा को) लेने चार मंत्री गए। एक या दो जाते तो ठीक था। यदि बहुत से मंत्री जाते हैं तो इसका मतलब यह है कि वे बाबा रामदेव को मूर्ख बनाना चाहते हैं। मामले को टालने के लिए वे आवश्वासन देंगे।"

अन्ना हजारे ने कहा, "मैं बाबा रामदेव से बात करूंगा ताकि वह सरकार के झांसे में न आएं। सरकार को बाबा रामदेव के साथ वह नहीं करना चाहिए जो उन्होंने हमारे साथ किया।"

उन्होंने बाबा रामदेव के साथ किसी तरह के मतभेद से इंकार किया और कहा कि वह रविवार को उनके आंदोलन में शामिल होंगे। उन्होंने हालांकि साफ किया कि वह अनशन नहीं करेंगे, बाबा रामदेव का सिर्फ समर्थन करेंगे।

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में बाबा रामदेव को इंद्रप्रस्थ विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) का भी समर्थन हासिल है। विहिप दिल्ली के महामंत्री सत्येंद्र मोहन ने कहा कि देश को एक स्वच्छ व्यवस्था देने के लिए लड़ी जाने वाली इस लड़ाई में विहिप बाबा रामदेव के साथ है।

उन्होंने आंदोलन की सफलता की कामना की और सरकार से बाबा रामदेव की मांगों को अविलम्ब स्वीकार करने के लिए कहा, ताकि देश की सवा करोड़ जनता का कल्याण हो सके।

वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने श्रीनगर में बाबा रामदेव के आंदोलन को अपना समर्थन दिया और कहा कि वह देश की चुराई गई सम्पत्ति को वापस लाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।

संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा, "मैं उनका अनुयायी हूं। मैं उनका समर्थन करता हूं और चाहता हूं कि पूरा देश इस लड़ाई में उनके साथ हो।"


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