15 जून 2011
नई दिल्ली। पूनम के चांद की खूबसूरती का भला कौन कायल नहीं होगा लेकिन आपने पूनम का चांद ऐसा कभी नहीं देखा होगा जो धूमिल पड़ते-पड़ते कटने लगे और एक बिंदु पर आकर पूरा गायब तो नहीं लेकिन एक लाल या तांबई रंग के गोले में बदल जाए। कुछ ऐसा ही नजारा आज रात आसमान में घटने वाला है।
इस बार का पूर्ण चंद्रग्रहण काफी लंबा होगा। जानकारों के मुताबिक पूर्ण चंद्रग्रहण की अवधि 100 मिनट और 13 सेंकेंड रहेगी। इतनी ज्यादा अवधि का और इतना गहरा चंद्रग्रहण अब अगले 130 साल तक नहीं पड़ने वाला। इससे बड़ी अवधि और इससे ज्यादा गहरा चंद्रग्रहण वर्ष 2141 में ही पड़ेगा।
गैर सरकारी संगठन, साइंस पॉपुलराइजेशन एसोसिएशन ऑफ कम्युनिकेटर्स एंड एजुकेटर्स में कार्यक्रम प्रमुख एवं विज्ञान अधिकारी मिला मित्रा ने कहा, "यह एक सबसे लम्बी अवधि वाला 100 मिनट का ग्रहण होगा, और सबसे अंधाकारपूर्ण भी होगा, क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी की छाया के अंदर से होकर गुजरेगा।"
15-16 तारीख की रात में होने वाले चंद्रग्रहण में चंद्रमा धरती की छाया के केंद्रीय भाग के काफी पास से निकलेगा। इस वजह से चंद्रमा के रंग में बदलाव कुछ अलग ही नजर आएगा। आम आदमी को ये लग सकता है कि चंद्रमा किसी मुसीबत में फंस गया है लेकिन वैज्ञानिकों की माने तो चंदा मामा मुसीबत से नहीं बल्कि पृथ्वी की छाया से गुजर रहे होगें।
इस बार का चंद्रगहण इस मायने में भी अनोखा होगा कि चांद को ग्रहण की छाया 15 जून की रात पूरी दुनिया में एक साथ लगना शुरु होगी और एक साथ ही खत्म होगी। कहीं पर दिन तो कहीं रात होगी। लेकिन भारत में चूंकि इस समय मध्यरात्रि होगी इसलिए हम ये ग्रहण शुरू से अंत देख पाएंगे। भारतीय समय के मुताबिक चंद्रग्रहण 15 जून को रात को शुरू होगा।
भारतीय आसमान में यह इस सदी का सबसे अंधकारपूर्ण चंद्रग्रहण होगा। पिछला सबसे अंधकारपूर्ण चंद्रग्रहण चार दशक पूर्व छह अगस्त, 1971 को हुआ था।
चंद्रग्रहण 15 तारीख को रात 10 बजकर 53 मिनट 6 सेकेंड पर तब शुरू होगा जब चंद्रमा धरती की बहुत ही हल्की छाया यानी उपच्छाया में प्रवेश करेगा। इसके बाद चंद्रमा मध्यरात्रि में प्रच्छाया में 11 बजकर 52 मिनट 36 सेकेंड पर प्रवेश करेगा। इसी के साथ आंशिक ग्रहण नजर आना शुरू हो जाएगा। रात 12 बजकर 52 मिनट 6 सेकेंड पर चंद्रमा प्रच्छाया यानी में पूरी तरह से प्रवेश कर जाएगा। इसी के साथ पूर्ण चंद्रग्रहण शुरू हो जाएगा।
पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा गहरे लाल रंग में डूबा हुआ नजर आएगा। समय के साथ साथ ये रंग थोड़ा और गहरा जाएगा। पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा पूरी तरह से अदृश्य तो नहीं होगा। हालांकि
कुछ लोगों का मानना है कि ग्रहण के दौरान चंद्रमा पूरी तरह गायब हो जाएगा।
मित्रा ने कहा, "यह अपेक्षाकृत एक दुर्लभ मध्य ग्रहण है, जिसमें चंद्रमा पृथ्वी की परछाई के मध्य के ठीक सामने से होकर गुजरेगा।"
पूर्ण चंद्रग्रहण 100 मिनट तक लंबा होगा। चांद रात 2 बजकर 33 मिनट पर प्रच्छाया से बाहर निकलना शुरू कर देगा। इसी के साथ पूर्ण चंद्रग्रहण खत्म हो जाएगा। 16 जून को सुबह तड़के 3 बजकर 32 मिनट 36 सेकेंड पर चंद्रमा प्रच्छाया से पूरी तरह से बाहर निकल आएगा। इसी के साथ आंशिक ग्रहण दिखना खत्म हो जाएगा। सुबह 4 बजकर 32 मिनट 12 सेंकेंड पर चंद्रमा उपच्छाया से पूरी तरह से बाहर आ जाएगा और इसी के साथ ग्रहण खत्म हो जाएगा।
चंद्रग्रहण के लिए भारत बहुत ही उपयुक्त जगह है। यहां पर ये शुरू से अंत तक दिखेगा। चंद्रग्रहण उत्तरी अमेरिका में नहीं दिखेगा। दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका और यूरोप में चंद्रग्रहण चंद्रोदय के वक्त शुरू होगा। पूर्वी अफ्रीका, मध्य एशिया और भारतीय उपमहाद्रीप में चंद्रग्रहण शुरू से अंत तक देखा जा सकेगा। ऑस्ट्रेलिया, चीन और जापान में चंद्रग्रहण चंद्रास्त के वक्त दिखेगा।
यह चंद्रग्रहण 2011 में होने वाले कुल दो चंद्रग्रहणों में से पहला है। दूसरा चंद्रग्रहण 10 दिसम्बर को पड़ेगा।