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कचरा ढोने वाले वाहन से लाया गया शहीदों का पार्थिव शरीर

28 जून 2011

दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में रविवार रात को नक्सली हमले में शहीद होने वाले राज्य के तीन पुलिसकर्मियों के पार्थिव शरीर को नगरपालिका के कचरा ढोने वाले वाहन से पुलिस मुख्यालय लाया गया था।

राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) विश्व रंजन ने इसे स्वीकार करते हुए बताया, "उस समय कोई एंबुलेंस मौजूद नहीं थी..केवल नगरपालिका का वाहन ही मौजूद था।"

रंजन ने कहा कि पुलिसकर्मियों के पार्थिव शरीर को लाने से पहले मिनी ट्रक की अच्छे तरीके से साफ सफाई की गई थी।

गौरतलब है कि तीन पुलिसकर्मियों लक्ष्मण भगत, असलन इक्का और भूषण मांडवई का पार्थिव शरीर किरनदुल से दंतेवाड़ा मुख्यालय नगरपालिका के मिनी ट्रक से लाया गया था, जिससे कचरा ढोया जाता था। उसके बाद उनके पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गावों के लिए भेजा गया था।

दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक अंकित गर्ग ने स्वीकार किया कि पुलिसकर्मियों के पार्थिव शरीर को नगरपालिका के वाहन में लाया गया था लेकिन आगे उन्होंने कुछ भी नहीं बताया।

जब उनसे यह पूछा गया कि क्या वह कचरा ढोने वाला वाहन था तब उन्होंने लम्बी चुप्पी के बाद कहा, "मैं नहीं जानता यह किस तरह का वाहन था लेकिन हां यह नगरपालिका का वाहन था।"

दंतेवाड़ा के एक पत्रकार ने कहा कि किरनदुल और उसके नजदीकी कस्बे बाचेली में कई एंबुलेंस मौजूद थीं। दोनों कस्बों में कई अस्पताल और रिहायशी कॉलोनियां हैं।

सिंह ने बताया, "किसी ने एंबुलेंस लाने का प्रयास ही नहीं किया। एक पुलिसकर्मी को शव को भेजने के लिए कहा गया और और उसने नगरपालिका से वाहन मंगाने के लिए फोन किया था।"

गौरतलब है कि तीनों पुलिसकर्मियों की किरनदुल पुलिस स्टेशन से महज चार किलोमीटर की दूरी पर मौत हो गई थी। उनके साथ सात लोग उस बोलेरो में सवार थे, जो नक्सलियों द्वारा बिछाई गई बारूदी सुरंग की चपेट में आ गई। एक पुलिसकर्मी की मौत बाद में गम्भीर चोट की वजह से हुई थी।


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