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ऐसिडिटी से हो सकता है कैंसर

29 जून 2011

कोलकाता। देश के करीब 75 प्रतिशत लोग पाचन सम्बंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं। इसे चिकित्सा भाषा में 'गेस्ट्रोईसोफेजियल रिफलक्स डिसऑर्डर' (गर्ड) कहते हैं।

इस बीमारी में पेट में मौजूद खाना असामान्य रूप से बार-बार आहार नली में पहुंचता है और उसकी आंतरिक त्वचा को नुकसान पहुंचाता है।

प्रख्यात गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट (पाचनतंत्र सम्बंधी बीमारियों के विशेषज्ञ चिकित्सक) प्रसन्ना शरद शाह कहते हैं कि गर्ड के पांच से 20 प्रतिशत मामलों में कैंसर होने की आशंका रहती है।

मुम्बई के जसलोक, ब्रीच कैंडी व अन्य अस्पतालों में अपनी सेवाएं देने वाले शाह इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए कोलकाता आए हुए थे। उन्होंने आईएएनएस को बताया, "मैं अपने अनुभव से बात कर रहा हूं कि यदि मैं हर रोज 20 मरीज देखता हूं तो उनमें से कम से कम 15 को गर्ड की शिकायत होती है। ऐसिडिटी, पेट व गले में जलन, पेट फूलना, भोजन का आहार नली में लौटना और पेट में दर्द इसके सामान्य लक्षण हैं। देशभर में यही स्थिति है।"

शाह कहते हैं कि इस बीमारी की मुख्य वजह बदली हुई जीवनशैली, धूम्रपान, मद्यपान और इसे नियंत्रित करने के लिए ली जाने वाली दवाएं हैं।

उन्होंने कहा, "हम स्वभाव से सहनशील होते हैं। जब हमें ऐसिडिटी या ऐसी ही अन्य समस्या होती है तो हम इसे सहन करते हैं और इसके लिए दर्दनिवारक दवाएं या ऐसिडिटी दूर करने वाले अन्य उत्पाद लेते हैं। दूसरी ओर इस समस्या को नजरअंदाज करना आपके लिए बहुत खतरनाक हो सकता है।"

मोटापा और मधुमेह इसके अन्य प्रमुख कारक हो सकते हैं।

भागीरथी नियोतिया वुमैन एंड चाइल्ड केयर सेंटर के बुलावे पर यहां पहुंचे शाह ने कहा, "इन समस्यों को बढ़ाने में तनाव की भी बड़ी भूमिका होती है। आजकल की दुनिया में हर कोई तनाव से गस्त है। लोग हर बात के लिए तनाव करने लगे हैं। यदि दिमाग तनाव में हो तो आंत भी तनाव में होगी और इसके परिणामस्वरूप पेट में जलन, पेट फूलने, भोजन आहार नली में लौटने और पेट दर्द की समस्याएं होंगी।"

उन्होंने कहा कि 60 से 80 साल आयु के लोगों में यह समस्या ज्यादा होती है। वैसे युवाओं में भी गर्ड की समस्या बढ़ी है।

शाह कहते हैं कि यदि ऐसिडिटी बहुत ज्यादा है तो उसे नजरअंदाज न करें क्योंकि इससे कैंसर की समस्या हो सकती है। उनके मुताबिक गर्ड के पांच से 20 प्रतिशत मरीजों में कैंसर हो सकता है।

उन्होंने कहा, "इस सम्बंध में आंकड़े उपलब्ध नहीं है लेकिन हम कह सकते हैं कि इस बीमारी के पांच से 20 प्रतिशत मरीज कैंसरग्रस्त हो जाते हैं।"

शाह ने कहा कि इससे बचने के लिए चॉकलेट, कैफिन, मद्यपान और धूम्रपान से परहेज करना चाहिए। छोटे-छोटे अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा भोजन लेते रहना चाहिए।


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