22 जुलाई 2011
नई दिल्ली। 'वोट के लिए नोट' मामले में दिल्ली पुलिस अपनी जांच का शिकंजा कसती जा रही है। पुलिस ने शुक्रवार को राज्यसभा के सदस्य एवं समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व नेता अमर सिंह से जहां चार घंटे तक पूछताछ की वहीं, उसने सपा सांसद रेवती रमन सिंह को पूछताछ के लिए शनिवार को बुलाया है।
उधर, मामले में कथित संलिप्तता में गिरफ्तार अमर सिंह के पूर्व निजी सचिव संजीव सक्सेना और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के युवा मार्चे के पूर्व कार्यकर्ता सुहैल हिंदुस्तानी को न्यायालय ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया।
अमर सिंह पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2008 के विश्वास मत परीक्षण के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन सांसदों को रिश्वत देने की कोशिश की।
अमर सिंह सुबह नई दिल्ली के चाणक्य पुरी स्थित अपराध शाखा के अंतर-राज्य प्रकोष्ठ पहुंचे। उन्होंने पूछताछ से पहले और बाद में बाहर इंतजार कर रहे पत्रकारों से बातचीत करने से इंकार कर दिया।
अमर सिंह को मामले में पहले ही गिरफ्तार उनके पूर्व निजी सचिव संजीव सक्सेना और भाजपा के युवा मोर्चे के पूर्व सदस्य सुहैल हिंदुस्तानी के समक्ष पूछताछ की गई।
अधिकारियों ने बताया कि दोनों ने ही सांसदों की कथित खरीद-फरोख्त के मामले में अमर सिंह का नाम लिया था।
उन्हें शुक्रवार को तीस हजारी अदालत ले जाया गया। हिंदुस्तानी ने संवाददाताओं से कहा, "सरकार मुझे इस मामले ('वोट के लिए नोट') में फंसाने की कोशिश कर रही है।" न्यायालय ने दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
अमर सिंह अपराध शाखा के कार्यालय सुबह करीब 10.45 बजे पहुंचे और उनसे पूछताछ 2.15 बजे समाप्त हुई।
सक्सेना का आरोप है कि सपा के पूर्व नेता अमर सिंह ने लोकसभा में वर्ष 2008 के विश्वास मत के दौरान भाजपा के तीन सांसदों का समर्थन हासिल करने के लिए एक करोड़ रुपये की रकम मुहैया कराई थी। लोकसभा में 22 जुलाई 2008 को विश्वास मत प्रस्ताव से ऐन पहले नोटों की गड्डियां लहराई गई थी।
सपा नेता और भाजपा सांसदों के बीच सम्पर्क करने में कथित तौर पर अहम भूमिका निभाने वाले हिंदुस्तानी ने भी अमर सिंह पर इसी तरह के आरोप लगाए हैं।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिल्ली पुलिस के रवैये की आलोचना किए जाने के बाद इस मामले की जांच में तेजी आई है।
वहीं, पूछताछ के बाद सुहैल और सक्सेना को पुलिस ने न्यायालय में पेश किया।
विशेष न्यायाधीश संगीता ढींगरा ने कहा, "दोनों आरोपियों को पांच अगस्त तक 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा जाता है।"
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने न्यायालय को बताया कि इस मामले में उसे दोनों से और पूछताछ नहीं करनी है। इसके बाद न्यायालय ने सक्सेना और हिंदुस्तानी को तिहाड़ जेल भेज दिया।
न्यायालय ने पुलिस से पिछले 24 घंटे के दौरान हुई पूछताछ के बारे में जानना चाहा। इस पर अपराध शाखा ने बताया कि हिंदुस्तानी से पूछताछ भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी एस.पी. गुप्ता की मौजूदगी में की गई।
अभियोजन पक्ष ने यह भी बताया कि अपराध शाखा के संयुक्त आयुक्त ने व्यक्तिगत रूप से दोनों से पूछताछ की।
वहीं, बचाव पक्ष ने पुलिस पर पूछताछ न्यायाय के आदेश के अनुरूप न करने का आरोप लगाया। अभियोजन पक्ष ने कहा कि पुलिस हिरासत में अपने मुवक्किलों से पूछताछ के दौरान उन्हें वहां मौजूद नहीं रहने दिया गया जबकि न्यायालय ने पूछताछ उनकी मौजूदगी में करने का आदेश दिया था।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिल्ली पुलिस के रवैये की आलोचना किए जाने के बाद इस मामले की जांच में तेजी आई है। पुलिस ने सक्सेना को 17 जुलाई और हिंदुस्तानी को 20 जुलाई को गिरफ्तार किया।
पुलिस ने बताया कि दोनों पर भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम के तहत कई अपराधों में मामला दर्ज किया गया है।