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सरकार ने हमें धोखा दिया : अन्ना हजारे

13 अगस्त 2011

नई दिल्ली। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्न हजारे ने अपने प्रस्तावित आमरण अनशन के प्रति दिल्ली पुलिस के प्रतिबंधों पर गहरी नाराजगी जताते हुए शनिवार को सरकार पर देश के विश्वास के साथ धोखा करने का आरोप लगाया। अन्ना हजारे ने कहा कि यदि उन्हें पता होता कि सरकार धोखा देगी तो वह गत अप्रैल में अपना आमरण अनशन स्थगित नहीं किए होते। अपने 16 अगस्त के प्रस्तावित अनशन से पहले एक संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि सरकार के कुप्रशासन के चलते अमेरिका को देश के आंतरिक मामलों में टिप्पणी करने का मौका मिला।

ज्ञात हो कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने शुक्रवार को 'आमरण अनशन' से निपटने में सरकार को संयम बरतने के लिए कहा। अन्ना हजारे ने कहा, "हम नहीं जानते थे कि हमारे साथ धोख होगा। यदि हमें अप्रैल महीने में इस बात की जानकारी होती तो हम सरकार से अपनी सभी मांगों पर सहमत होने के लिए कहे होते अथवा अनशन नहीं तोड़ते, लेकिन हमने सरकार का विश्वास किया और उसने हमने धोखा दिया।" अन्ना हजारे अपने अनिश्चितकालीन अनशन के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा मात्र तीन दिनों तक की अनुमति दिए जाने पर उसकी आलोचना की। पुलिस ने अन्ना हजारे को अनशन के लिए मध्य दिल्ली का एक पार्क दिया है और उनसे कहा है कि वहां चार से पांच हजार से अधिक भीड़ नहीं जुटनी चाहिए।

दिल्ली पुलिस ने इसके अलावा उकसाने वाला भाषण न देने, लाउडस्पीकरों की संख्या सीमित रखने सहित 22 अन्य प्रतिबंध लगाए हैं। अन्ना हजारे ने इस बारे में हस्तक्षेप करने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक पत्र लिखा है। उन्होंने संवाददाताओं को पत्र का अंश पढ़कर सुनाया। दो पृष्ठों के अपने पत्र में हजारे ने लिखा है कि प्रतिबंधों के बावजूद वह अनशन करेंगे और गिरफ्तार किए जाने के बाद जेल में उनका अनशन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि संविधान प्रत्येक नागरिक को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का अधिकार देता है और उसे ऐसा करने से रोकना उसके मौलिक अधिकारों का हनन है।

हजारे ने पत्र में कहा है, "मैं आपको इस उम्मीद के साथ लिख रहा हूं कि आप हमारे मौलिक अधिकार की रक्षा करेंगे। लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करना आपका कर्तव्य है और मुझे आशा है कि आप इस संदर्भ में कुछ कार्रवाई करेंगे।"

अन्ना के पत्र में आगे कहा गया है कि स्वतंत्रता सेनानियों ने इन अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी और यह चकित करने वाला है कि स्वतंत्रता दिवस के पूर्व इन अधिकारों का हनन किया जा रहा है।

लोकपाल विधेयक तैयार करने वाली समिति के सदस्य प्रशांत भूषण ने दिल्ली पुलिस के आदेश को असंवैधानिक बताया है। उन्होंने कहा, "वे कह रहे हैं कि पहले आप लिख कर दीजिए कि तीन दिनों में अनशन समाप्त कर देंगे, उसके बाद हम आपको अनुमति देंगे। इस तरह का हलफनामा मांगना पूरी तरह असंवैधानिक और आपातकाल के समान है। "

लेकिन दिल्ली पुलिस का कहना है कि सभी शर्तो को स्वीकार करने वाला हलफनामा दिए बगैर अनशन की अनुमति नहीं दी जाएगी।

उल्लेखनीय है कि अन्ना हजारे चाहते हैं कि सरकार ने लोकपाल विधेयक का जो मसौदा तैयार किया है उसमें जन लोकपाल विधेयक के प्रारूपों को शामिल किया जाए। इसके लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए वह 16 अगस्त से अनशन शुरू करने वाले हैं।

सरकार द्वारा गत चार अगस्त को संसद में पेश लोकपाल विधेयक के मसौदे में प्रधानमंत्री और उच्च न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है। जबकि सामाजिक संगठन के सदस्य प्रधानमंत्री और उच्च न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में रखने की मांग कर रहे हैं।

 


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