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अब सरकार ने डाला फंदा,केजरीवाल को 9.5लाख बकाये का नोटिस!

2 सितंबर 2011

दिल्ली। भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हज़ारे के साथ लगातार संघर्ष करने वाले अरविंद केजरीवाल पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहा है। इंडिया अगेंस्ट करपशन का नारा बुलंद करने वाले अरविंद क्या खुद 9.5 लाख का बकाया वापस नहीं कर नियमों का उल्लंधन कर रहे हैं! कम से कम अरविंद केजरीवाल को भेजे गए आयकर विभाग के नोटिस से तो यही खुलासा होता है। अरविंद केजरीवाल के पास आयकर विभाग के ये नोटिस अन्ना के अनशन से ठीक पहले आया था। अरविंद अबतक इस मामले में चुप्पी साधे हुए थे,लेकिन अपने ऊपर लग रहे इल्ज़ाम का जबाव वे शुक्रवार को देंगे।

आयकर विभाग से जारी इस नोटिस में कहा गया है कि केजरीवाल भारतीय राजस्व सेवा की नौकरी की दो साल की सैलरी का साढ़े तीन लाख रुपये और उसका ब्याज 4 लाख सोलह हजार रुपये लौटाएं। इतना ही नहीं,केजरीवाल पर विभाग से 50 हजार रुपये का कंप्यूटर लोन, जो ब्याज के साथ एक लाख रुपये हो चुका है,भी बाकि है। विभाग इन सभी राशियों को लौटाने को कहा गया है।

आयकर विभाग का इल्जाम है कि अरविंद केजरीवाल ने भारतीय राजस्व सेवा में नौकरी के समय ही एक बांड पर दस्तख्त किया था जिसके हिसाब से स्टडी लीव पर वे नौकरी न तो छोड़ सकते हैं और न ही रिटायर हो सकते हैं। अरविंद स्टडी लीव लेकर अमेरिका पढ़ने गये थे। लेकिन पढ़ाई पूरी करने के बाद अरविंद ने इस्तीफा तो दे दिया लेकिन विभाग की तरफ से उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया। इस दौरान उनकी गैर मौजूदगी से उनपर विभाग का 9.5 लाख का बकाया बनता है। विभाग का आरोप है कि अरविंद ने विभाग की शर्तों का उल्लंधन किया है।

इधर केजरीवाल का कहना है कि उन्होंने जिस बांड पर दस्तखत किया था, उसमें सिर्फ ये कहा गया था कि वो स्टडी लीव के दौरान नौकरी न तो छोड़ सकते हैं, न रिटाय़र हो सकते हैं। इस शर्त का उन्होंने पूरी तरह पालन किया।

केजरीवाल के मुताबिक शर्तों के मुताबिक वो दंड के भागीदार तभी होते, जब वो स्टडी लीव खत्म होने के बाद ड्यूटी पर नहीं आते, या इस्तीफा दे देते, या सर्विस से रिटायर हो जाते या ड्यूटी पर लौटने के बाद तीन साल की अवधि में अपना कोर्स पूरा करने में नाकाम रहते।

केजरीवाल का कहना है कि उन्होंने 1 नवंबर 2000 से 31 अक्टूबर 2002 तक की छुट्टी ली थी। एक नवंबर 2002 को उन्होंने नौकरी ज्वाइन कर ली। एक अक्टूबर 2005 को उन्होंने तीन साल पूरे कर लिए। फरवरी 2006 में उन्होंने इस्तीफा दिया। ऐसे में किसी शर्तों के उल्लंघन का सवाल नहीं उठता।

सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर आयकर विभाग को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ इस मामले की याद अभी जाकर ही क्यों आयी। आयकर विभाग सीधे वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आता है। तो क्या माना जाए कि अरविंद को परेशान करने की ये कोई राजनीति मंशा है। अगर नहीं तो अरविंद से इस बाबत पहले सवाल जवाब क्यों किया गया।

अरविंद केजरीवाल इस बारे में शुक्रवार को मीडिया के सामने मुखातिब होगें।


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