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मोदी को सुप्रीमकोर्ट से फिलहाल राहत,कहा,गुलबर्ग दंगों पर फैसला निचली अदालत करेगी

12 सितंबर 2011

दिल्ली। गुजरात दंगों के मामले में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए फिलहाल राहत की खबर है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 2002 गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका पर फैसला निचली अदालत करेगी। कोर्ट ने गुलबर्ग सोसाइटी में हुए दंगों की रिपोर्ट मेजिस्ट्रेट को भेज दी है और कहा है कि अब मेजिस्ट्रेट ही इस रिपोर्ट के आधार पर फैसाल करेंगे।  

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश डीके जैन, पी सतशिवम एवं आफताब आलम की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि गुजरात दंगों में मोदी की भूमिका की एसआईटी रिपोर्ट मेजिस्ट्रेट को भेज दिया गया है। इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एसआईटी की रिपोर्ट पर एमिकस क्यूरी से सलाह मांगी थी। 2002 में गुजरात दंगों में मारे गये सासंद एहसान ज़ाफरी के मामले में उनकी पत्नी जाकिया जाफरी ने दंगों में मुख्यमंत्री की भूमिका पर ऊंगली उठाई थी। लेकिन पहले पुलिस और फिर हाईकोर्ट ने उनकी याचिका ठुकरा दी। सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देने के बाद पहली बार मोदी की भूमिका की जांच शुरू हुई थी। जाकिया के हलफनामें में आरोप लगाया गया है कि गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए दंगों को मोदी सरकार की सहमति मिली हुई थी। साथ ही उनका आरोप है कि नरेंद्र मोदी ने जानबूझकर दंगों की आग को भड़कने दिया और एक समुदाय विशेष को निशाना बनाने के लिए लोगों को खुली छूट दे दी थी।
   
जकिया के आरोप की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी का गठन किया। इस एसआईटी की कमान आर के राघवन को सौंपा गया। खबर आ रही है कि एसआईटी ने मुख्यमंत्री मोदी को अपनी रिपोर्ट में क्लीन चिट दे दी है। इस खबर पर सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन को न्यायमित्र नियुक्त कर उनसे एसआईटी की रिपोर्ट पर सलाह मांगी थी। 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जाकिया जाफरी और उनकी बेटी ने कहा कि अदालत के फैसले से उन्‍हें निराशा हुई है।
वहीं मोदी के वकील यतिन ओझा ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले को नरेंद्र मोदी खेमा जीत मान रहा है। दूसरी ओर सामाजिक कार्यकर्ता तीस्‍ता शीतलवाड़ इस फैसले को मोदी के लिए पूरी तरह राहत नहीं मान रही हैं और उनका कहना है कि न्‍याय की ओर एक बड़ा कदम है।

गौरतलब है कि गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड में कांग्रेस के पूर्व सांसद जाफरी सहित कई लोग मारे गए। उग्र भीड़ जो एक खास समुदाय को निशाना बना रही थी उसने 28 फरवरी 2002 को सोसायटी को आग के हवाले कर दिया।


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