13 सितम्बर 2011
नई दिल्ली। दक्षिणी चीन सागर में चीन के बढ़ते दखल के बीच विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा इस सप्ताह के आखिर में वियतनाम की यात्रा करने वाले हैं, जहां वह अपने वियतनामी समकक्ष फाम बिन्ह मिन्ह से आर्थिक व रणनीतिक सम्बंधों को मजबूत करने के बारे में चर्चा करेंगे।
रणनीतिक रूप से इस यात्रा को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि चीन और वियतनाम के सम्बंध बेहतर नहीं रहे हैं। हाल ही में चीन ने दक्षिणी चीन सागर के जल क्षेत्र को अपना बताते हुए भारतीय नौ सैनिक युद्धफोत 'आईएनएस ऐरावत' को लौट जाने के लिए कहा था।
भारत ने हालांकि इसके अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र होने का दावा किया है, जिसमें किसी को भी नौवहन की स्वतंत्रता है। ऐरावत वियतनाम की मैत्री यात्रा पर था। समझा जाता है कि कृष्णा मिन्ह के साथ अपनी वार्ता में इस मुद्दे को भी उठाएंगे।
वियतनाम की यात्रा के दौरान कृष्णा शुक्रवार को मिन्ह के साथ 14वें संयुक्त आयोग की सह-अध्यक्षता भी करेंगे, जिसमें द्विपक्षीय सम्बंधों के सभी पहलुओं पर चर्चा की जाएगी। इस दौरान वियतनाम के प्रधानमंत्री गुयेन तान डुंग की अगले महीने होने वाली भारत यात्रा की रूपरेखा भी तैयार की जाएगी।
विदेश मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी बयान में कहा गया है, "दोनों मंत्री भारत एवं वियतनाम के बीच व्यापार व निवेश, संस्कृति, विज्ञान, सूचना प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन विकास तथा कृषि के क्षेत्र में सहयोग की समीक्षा करेंगे।"
कृष्णा हनोई में सूचना प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट 'एडवांस रिसोर्स केंद्र' का भी उद्घाटन करेंगे। वह ऐतिहासिक हो ची मिन्ह शहर का भी दौरा करेंगे। दोनों देशों के बीच रक्षा तथा सुरक्षा सम्बंधों को और बेहतर बनाने पर भी चर्चा की उम्मीद है।
गौरतलब है कि संयुक्त युद्धाभ्यास के अतिरिक्त भारत वियतनाम के सुरक्षा बलों को प्रशिक्षण भी देता है। साथ ही भारत वियतनाम को रूस निर्मित युद्धपोत के कल-पुर्जे की आपूर्ति करता है।