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काश अज़हर ने वो बाइक अयाज़ को नहीं दी होती !


16 सितंबर 2011

अक्सर सड़क पर ये लिखा हुआ दिखता है कि "स्पीड थ्रील्स बट किल्स"। काश ये सबक पूर्व क्रिकेट कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन के बेटे अयाजुद्दीन ने समय रहते सीख लिया होता। अयाजुद्दीन की मौत इसी स्पीड ने ले ली। इस घटना की त्रासदी तो ये है कि जिस स्पीड ने अयाज़ की जान ली उस रफ्तार के घोड़े को खुद पिता अज़हर ने गिफ्ट किया था। लेकिन शायद अज़हर को इस बात का अंदाज़ा नहीं होगा कि वो अपने बेटे को जिस प्यार के साथ ये तोहफा दे रहे हैं वो असल में उसके लिए मौत का तोहफा साबित होगी।

अयाजुद्दीन को अपने पिता अज़हर की ही तरह एक क्रिकेटर बनना था। हालांकि वो इस समय बीकॉम की पढ़ाई कर रहा था। लेकिन उसका ज्यादा दिल क्रिकेट में ही रमता था। अयाज़ हर सुबह क्रिकेट की प्रैक्टिस करने जाता था। अज़हर को भी अपने बेटे पर बहुत नाज़ था। उसकी प्रैक्टिस में किसी तरह की खलल न पड़े इसलिए महज़ कुछ दिन पहले ही अज़हर ने बहुत ही शौक के साथ अयाज़ के लिए 1000सीसी सुज़ुकी मोटर बाइक खरीदा। इस बाइक की कीमत 13 लाख रुपये है।

लेकिन अज़हर को क्या मालूम था कि वे अपने बेटे को मौत की सौगात दे रहे हैं। 19 साल के अयाज़ ने जब इस तोहफे के बारे में अपने दोस्तों को बताया तो उसके दोस्तों ने उसे बाकइ रेस करने के लिए कहा। रविवार की सुबह हैदराबाद के आउटर रिंग रोड पर अक्सर तड़के नौजवान बाइक रेस लगाते रहते हैं। घटना से ठीक एक दिन पहले फेस बुक पर अयाज़ और उसके फुफेरे भाई अजमल के बीच हुए बात चीत से यही खुलासा होता है कि अयाज़ अपनी नई बाइक से दोस्तों के साथ रेस लगाना चाहता है। रविवार की सुबह क्रिकेट की प्रैक्टिस करने की बात कह कर दोनों भाई घर से निकले।

अज़हर की गिफ्ट की गई बाइक की खासियत उसकी रफ्तार ही है। ये बाइक चंद सेकेंड में ही 100 किलोमीटर की रफ्तार ले लेती है। 11 सितंबर की सुबह तय समय पर दोस्तों के साथ आउटर रिंग रोड पर अयाज़ की बाइक रेस शुरू हुई। अजमल अयाज़ के साथ बैठा था। अयाज़ बाइक की रफ्तार को लगातार बढ़ाता चला गया। लेकिन अयाज़ के पास तेज़ बॉल को संभल कर खेलने का तो अनुभव था,लेकिन तेज़ रफ्तार में भाग रही बाइक को संभालने में वो अभी नादान ही था। 200किलोमीटर की रफ्तार पकड़ते पकड़ते अयाज़ का बाइक पर से कंट्रोल खो गया और देखते ही देखते ये दोनों नौजवान हादसे के शिकार हो गये।

अयाज़ और अजमल को हैदराबाद के आपोलो अस्पताल लाया गया, जहां डेढ़ घंटे के बाद ही अजमल की मौत हो गई जबकि अयाज़ 5 दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझता रहा। लेकिन रफ्तार के शौक ने अयाज़ की जिंदगी की रफ्तार को हमेशा के लिए विराम लगा दिया।   


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