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बंगाल में दशकों बाद दुर्गा पूजा में मंत्रियों की शिरकत

1 अक्टूबर 2011

कोलकाता। पिछले 35 साल में यह पहला मौका है, जब पश्चिम बंगाल के मंत्रियों ने पूर्व की वामपंथी सरकार के राजनीतिक संकोच को नकारते हुए खुलेआम दुर्गा पूजा समारोहों में शिरकत की है।

पूजा आयोजन समितियों में मंत्रियों की बड़े पैमाने पर उपस्थिति देखी जा रही है। सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के कई विधायक भी उनके साथ वहां पहुंच रहे हैं। नेताओं का कहना है कि उनके इस जुड़ाव से धार्मिक सद्भाव का संदेश फैल रहा है।

खेल मंत्री मदन मित्रा, जो कि भवानीपुर में अग्रदूत एवं उदय संघ पूजा आयोजित करते हैं, ने कहा कि यह धार्मिक से ज्यादा सामाजिक और सांस्कृतिक त्योहार है।

मित्रा अपनी पूजा के जरिए खेती और गांवों के महत्व को रेखांकित करना चाहते हैं। उन्होंने पूजा का शीर्षक 'मां माटी मानुष' रखा है, जो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का खास नारा है।

लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने आईएएनएस से कहा, "मैं बचपन से ही इस पूजा से जुड़ा हुआ हूं और मंत्री बनने से कोई फर्क नहीं पड़ता। पूजा समिति में तो मैं एक सामान्य सदस्य ही हूं।" मुखर्जी दक्षिण कोलकाता के एकदलीय एवरग्रीन पूजा के पीछे एक प्रमुख ताकत हैं। इस समिति के पास पूजा के लिए 40 लाख का बजट है।

मुखर्जी ने कहा, "यह कहना भी गलत होगा कि मेरा जुड़ाव धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। मैं ईद और क्रिसमस भी समानरूप से मनाता हूं। वैसे भी दुर्गा पूजा हिंदुओं तक सीमिति नहीं है।"

दक्षिण कोलकाता के चेतला अग्नि क्लब के अध्यक्ष नागरिक मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम हैं। इसके पंडाल को मस्जिद और मंदिर का आकार दिया गया है। यह साम्प्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा दे रहा है।

हकीम ने कहा, "धर्मनिरपेक्षता का इससे बेहतर उदाहरण और क्या होगा कि एक मुसलमान हिंदू पूजा आयोजित कर रहा है? मेरे और मेरे लोगों के लिए पूजा धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि एक त्योहार है, जिसे सभी लोग धर्म से अलग हटकर मिलकर मनाते हैं।"


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