.12 दिसम्बर 2011
नई दिल्ली। देश के औद्योगिक उत्पादन में अक्टूबर माह में 5.1 फीसदी गिरावट दर्ज की गई। सोमवार को जारी औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में उम्मीद से अधिक गिरावट पर कारोबारी जगत ने नीति निर्माताओं से निवेश को प्रोत्साहित करने तथा मुख्य दरों में कमी लाने की मांग की। पिछले साल अक्टूबर में औद्योगिक विकास दर 11.3 फीसदी रही थी।
पिछले एक तिमाही से अधिक समय से औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती दिखाई दे रही है। देश के कारोबारी जगत के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लगातार मुख्य दरों में वृद्धि करने के कारण वाणिज्यिक बैंकों की ब्याज दरों में वृद्धि और वैश्विक आर्थिक माहौल में जारी अनिश्चितता के कारण निवेश में गिरावट की वजह से औद्योगिक विकास में सुस्ती दर्ज की जा रही है।
अक्टूबर के लिए जारी औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में विनिर्माण क्षेत्र में 6 फीसदी नकारात्मक विकास और खनन गतिविधियों में 7.2 फीसदी नकारात्मक विकास दर्ज किया गया।
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पिक्की) के महासचिव राजीव कुमार ने कहा, "विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर संकट की स्थिति में पहुंच चुकी है। फिक्की के ताजा अध्ययन के मुताबिक स्थिति और खराब होगी।"
फिक्की के एक अध्ययन में विनिर्माण क्षेत्र की 384 कम्पनियों में से 87 फीसदी कम्पनियों ने कहा कि 2011-12 की तीसरी तिमाही में विकास दर घटेगी।
कुमार ने कहा, "भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को तुरंत मुख्य दरें घटानी चाहिए, ताकि निवेश और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं की मांग बढ़ सके। इसी के साथ सरकार को निवेश में भी छूट तथा अन्य राहत योजनाएं शुरू करनी चाहिए।"
ताजा आंकड़ों में सितम्बर की औद्योगिक उत्पादन दर को संशोधित करते हुए थोड़ा बढ़ाकर इसे दो फीसदी कर दिया गया। जुलाई में औद्योगिक उत्पादन दर 3.8 फीसदी और अगस्त माह में यह 4.1 फीसदी थी।
नीति निर्माताओं ने भी उत्पादन में गिरावट पर चिंता जताई।योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने ताजा औद्योगिक विकास के आंकड़े पर संवाददाताओं से प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "हमारे पास कोई बहुत बड़ी योजना नहीं है, लेकिन हम यह महसूस करते हैं कि हमें आर्थिक स्थिति पर समग्रता से विचार कर यह समझने की जरूरत है कि निवेश के सामने क्या रुकावटें आ रही हैं।"
औद्योगिक उत्पादन में गिरावट का शेयर बाजारों पर भी नकारात्मक असर देखा गया। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सोमवार को 343 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ।
बिजली क्षेत्र में सकारात्मक विकास दर्ज किया गया। इस अवधि में बिजली क्षेत्र में 5.6 फीसदी सकारात्मक विकास दर्ज किया गया।
केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी ताजा आंकड़े के मुताबिक अप्रैल से अक्टूबर माह की अवधि में सिर्फ 3.5 फीसदी विकास दर्ज किया गया। इसी अवधि में पिछले कारोबारी साल में 8.7 फीसदी विकास दर्ज किया गया था।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में तीन-चौथाई योगदान करने वाले विनिर्माण क्षेत्र में अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में 3.7 फीसदी विकास दर्ज किया गया। इसी अवधि में खनन क्षेत्र में उत्पादन में 2.2 फीसदी की गिरावट रही।
भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, "निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए फौरन कदम उठाने चाहिए। ढांचागत तथा अन्य क्षेत्रों में भरोसेमंद परियोजनाएं शुरू करनी चाहिए। मुख्य दरों में लगातार कटौती करनी चाहिए और वित्तीय स्थिति में सुधार लानी चाहिए।"