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अन्ना ने लोकपाल पर ममता से मदद मांगी

14 दिसम्बर 2011
 
नई दिल्ली| सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने बुधवार को तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी से आग्रह किया कि उन्हें प्रभावी लोकपाल विधेयक के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाना चाहिए। अन्ना ने खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर सख्त रुख अपनाने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रशंसा करते हुए कहा, "मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि प्रभावी लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर भी वह इसी तरह का रुख अपनाएं।"

अन्ना ने कहा, "एफडीआई के मुद्दे पर उन्होंने देश के लिए एक शानदार काम किया है। उनके निर्णय ने कई छोटे व्यापारियों को बचा लिया है।"

अन्ना ने संवाददाताओं से कहा, "हमारा अनुरोध है कि देश को एक प्रभावी लोकपाल मिले, ताकि उससे यदि 100 फीसदी नहीं तो कम से कम 60-70 फीसदी भ्रष्टाचार समाप्त हो सके। बहन ममता से हमारा अनुरोध है कि आप लोकपाल के लिए दबाव बनाए ताकि भ्रष्टाचार कुछ हद तक समाप्त हो सके।"

अन्ना ने शिकायत निवारण विधेयक-2011 को मंत्रिमंडल की मंजूरी पर आपत्ति जताई और इसे 'सदन की भावना' का उल्लंघन बताया और कहा कि यह उनके कार्यकर्ताओं को स्वीकार्य नहीं है।

अन्ना ने कहा, "जब मैं रामलीला मैदान में अनशन पर था, तब प्रधानमंत्री ने कुछ शर्तो पर अनशन समाप्त करने की मुझसे अपील की थी, जिसमें सिटिजन चार्टर को लोकपाल के दायरे में रखे जाने की शर्त भी शामिल थी। लेकिन अब सरकार ने एक नया विधेयक पारित किया है, जो सदन की भावना के खिलाफ है।"

अन्ना ने कहा, "सिटिजन चार्टर को एक अलग कानून के तहत नहीं लाया जाना चाहिए। यह ठीक नहीं है।"

ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में न्यायिक मानक एवं जवाबदेही विधेयक, शिकायत निवारण विधेयक और पर्दाफाश करने वालों की सुरक्षा से सम्बंधित विधेयक को मंजूरी दे दी गई।

शिकायत निवारक विधेयक-2011, प्रशासन में निचले स्तर पर भ्रष्टाचार रोकने, समयबद्ध सार्वजनिक सेवा के मानक तय करने और पंचायतों से लेकर सरकारी विभागों से सम्बंधित शिकायतों का निवारण करने के लिए है।

अन्ना, कोर समिति की दो दिवसीय बैठक में हिस्सा लेने यहां आए हुए हैं। बैठक में प्रभावी लोकपाल के लिए 27 दिसम्बर से पांच जनवरी के आंदोलन से पूर्व की रणनीति तय की जाएगी।

अन्ना ने रविवार को जंतर मंतर पर दिनभर का सांकेतिक अनशन किया था, और कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने मंच पर आकर प्रभावी लोकपाल के लिए उन्हें समर्थन दिया था। इनमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कम्युनिस्ट, जनता दल (युनाइटेड), बीजू जनता दल (बीजद) और तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के नेता शामिल थे।


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