नई दिल्ली। औद्योगिक उत्पादन में गिरावट और विकास दर घटने के कारण कारोबारी जगत का अनुमान है कि भारतीय रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक समीक्षा में मुख्य दरों में वृद्धि नहीं करेगा। रिजर्व बैंक मध्य तिमाही समीक्षा शुक्रवार को जारी करेगा।
बैंक ने 2010 की शुरुआत से महंगाई कम करने के तर्क के साथ 13 बार मुख्य दरों में वृद्धि की है। लक्ष्य अब हासिल होता नजर आ रहा है। ताजा आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक तीन दिसम्बर को समाप्त सप्ताह के लिए खाद्य महंगाई दर 4.35 फीसदी दर्ज की गई। जबकि वार्षिक महंगाई दर हालांकि अभी भी नौ फीसदी के ऊपर है, लेकिन इसमें मामूली गिरावट आई है।
लगातार बढ़ती दरों के कारण निवेश में गिरावट आई है और इसके कारण पिछले करीब चार महीनों से औद्योगिक उत्पादन दर में लगातार गिरावट आई है। अक्टूबर में आखिरकार इसमें 5.1 फीसदी का नकारात्मक विकास दर्ज किया गया।
मौजूदा कारोबारी साल के लिए आर्थिक विकास दर के भी उम्मीद के मुताबिक नहीं रहने का अनुमान है। ताजा सरकारी अनुमान 7.5 फीसदी के आस-पास रहने का है।
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा कि रिजर्व बैंक जनवरी में नकद आरक्षी अनुपात और कारोबारी साल 2012-13 की पहली तिमाही में रेपो दर में कटौती कर सकता है।
बाजार के कुछ हिस्सों का हालांकि अनुमान है कि महंगाई दर में सात फीसदी तक की कमी सुनिश्चित करने के लिए रिजर्व बैंक एक बार फिर दरों में वृद्धि कर सकता है।
रुपये की कीमत में गिरावट रिजर्व बैंक के सामने एक अलग चुनौती है। गुरुवार को रुपये ने प्रति डॉलर 54.30 रुपये का नया निचला स्तर बनाया। रुपया पिछले चार दिनों से लगातार सर्वाधिक निचले स्तर है। पिछले चार महीने में रुपये में 20 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है।
भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, "रिजर्व बैंक को 13 बार मुख्य दरों में वृद्धि करने के असर को खत्म करने के लिए धीरे धीरे अनवरत इसमें कटौती करनी होगी।"
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक को रुपये में गिरावट को रोकने के लिए भी कदम उठाने होंगे, क्योंकि यह महंगाई बढ़ाने में योगदान करता है।