गौरतलब है कि वर्ष 1996 में विद्युत मंडल ने ऊर्जा मीटर की ऊंची दर पर खरीदी की थी। इस खरीदी से मंडल को लगभग साढ़े छह करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। अधिकारियों पर आरोप था कि उन्होंने बिना निविदा के मीटर की खरीदी का प्रस्ताव तैयार किया, इससे मंडल को नुकसान हुआ। शिकायत लोकायुक्त के पास पहुंची। लोकायुक्त ने जांच में अनियमितता पाई और प्रकरण दर्ज करने के बाद न्यायालय में चालान पेश किया।
मामले की सुनवाई के बाद गुरुवार को न्यायाधीश सिंह ने फैसला सुनाया। फैसले में पांच पूर्व अधिकारियों को दोषी बताया गया है। फैसले में कहा गया है कि मंडल के नियमानुसार एक करोड़ से ज्यादा की खरीदी निविदा से होनी चाहिए, इसके बाद अधिकारियों को खरीदी के विशेष अधिकार दिए गए थे, लेकिन अधिकारियों ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है।
न्यायाधीश ने पूर्व अध्यक्ष दासगुप्ता और अन्य एन. पी. श्रीवास्तव, प्रकाशचंद्र मंडलोई, बसंत कुमार मेहता व मोहन चंद को तीन-तीन वर्ष की सजा सुनाई है। साथ ही पांचों पर एक लाख एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।