6 फरवरी 2012
माघ पूर्णिमा को पृथ्वी का दुर्लभ दिन माना गया है , ब्रह्मवैवर्तपुराण में उल्लेख है कि माघी पूर्णिमा पर स्वयं भगवान नारायण गंगाजल में निवास करतें है । इस पावन घड़ी में कोई गंगाजल का स्पर्शमात्र भी कर दे तो उसे बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है । मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पूर्व जल में भगवान का तेज मौजूद रहता है, देवताओं का यह तेज पाप का शमन करने वाला होता है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व जब आकाश में पवित्र तारों का समूह मौजूद हो उस समय नदी में स्नान करने से घोर पाप भी धुल जाते हैं। माघ पूर्णिमा के विषय में कहा जाता है कि जो व्यक्ति तारों के छुपने के पूर्व स्नान करते हैं उन्हें उत्तम फल की प्राप्ति होती है। जो तारों के छुपने के बाद पर सूर्योदय के पूर्व स्नान करते हैं उन्हें माध्यम फल की प्राप्ति होती। जो सूर्योदय के पश्चात स्नान करते हैं वे इस दिन के उत्तम फल की प्राप्ति से वंचित रह जाते हैं। इसलिए इस दिन शास्त्रानुकूल आचरण करते हुए तारों के छुपने के पूर्व स्नान करने का विधान है। इसलिऐ इस पावन पर्व पर ओम नमः भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करते हुए स्नान और दान करना चाहिए । माघ पूर्णिमा के दिन स्नान करने वाले पर भगवान विष्णु कि असीम कृपा रहती है। सुख-सौभाग्य, धन-संतान कि प्राप्ति होती है इसलिए माघ स्नान पुण्यशाली माना गया है। पौराणिक मान्यता है कि कलयुग की शुरुआत माघ पूर्णिमा के दिन से ही हुई थी। इसलिए इस पूर्णिमा पर स्नान करने से कलियुग के सारे पाप धुल जाते हैं। साथ ही दान कर्म पुण्यदायी होता है।
इस दिन किए गए यज्ञ, तप तथा दान का विशेष महत्व होता है। स्नान आदि से निवृत होकर भगवान विष्णु की पूजा कि जाती है, गरीबो को भोजन, वस्त्र, गुड, कपास, घी, लड्डु, फल, अन्न आदि का दान करना पुण्यदायक होता है। अत: माघ पूर्णिमा के दिन प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, पोखर, कुआं, या घर पर ही स्नान करके भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए। माघ पूर्णिमा के अवसर पर भगवान सत्यनारायण जी कि कथा की जाती है भगवान विष्णु की पूजा में केले के पत्ते व फल, पंचामृत, सुपारी, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, दूर्वा का उपयोग किया जाता है। सत्यनारायण की पूजा के लिए दूध, शहद केला, गंगाजल, तुलसी पत्ता, मेवा मिलाकर पंचामृत तैयार किया जाता है, इसके साथ ही साथ आटे को भून कर उसमें चीनी मिलाकर चूरमे (पंजीरी) का प्रसाद बनाया जाता है और इस का भोग लगता है। सत्यनारायण की कथा के बाद उनका पूजन होता है, इसके बाद देवी लक्ष्मी, महादेव और ब्रह्मा जी की आरती कि जाती है और चरणामृत लेकर प्रसाद सभी को दिया जाता है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जब कर्क राशि में चन्द्रमा और मकर राशि में सूर्य का प्रवेश होता है, तब माघ पूर्णिमा का योग बनता है । इसे "पूण्य योग" भी कहा जाता है क्योकि इस अवसर पर गंगा में स्नान करने से मनुष्य के समस्त पाप एंव संताप मिट जातें है । धार्मिक मान्यता के अनुसार माघ पूर्णिमा का स्नान सूर्य और चन्द्रमा युक्त दोषो से मुक्ति दिलाता है । इस वर्ष माघ पूर्णिमा का पर्व 7 फरवरी 2012 को मनाया जाएगा।