26 मार्च 2012
नई दिल्ली | एक रक्षा सौदे को मंजूरी देने के बदले रिश्वत की पेशकश किए जाने सम्बंधी सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह के खुलासे के बाद सरकार ने मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने के आदेश दिए। सोमवार को प्रकाशित एक रपट में कहा गया है कि 600 घटिया वाहनों की खरीद को मंजूरी देने के लिए सेना प्रमुख को 14 करोड़ रुपये के रिश्वत की पेशकश की गई थी। सिंह ने कहा कि रिश्वत के प्रस्ताव से वह अवाक रह गए थे और प्रस्ताव देने वाले के खिलाफ पुलिस में इसलिए शिकायत नहीं दर्ज करा सके, क्योंकि यह एक परोक्ष तरीका था। लेकिन राजनीतिक दलों ने कहा है कि सेना प्रमुख को पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाहिए थी।
सेना प्रमुख का यह सनसनीखेज खुलासा समाचार पत्र 'द हिंदू' ने प्रकाशित किया। इसके बाद सिंह ने न्यूज पोर्टल, चौथी दुनिया को दिए एक साक्षात्कार में अपनी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की।
सिंह ने कहा, "यदि कोई व्यक्ति जो अभी कुछ ही दिन पहले सेवानिवृत्त हुआ हो, वह विभिन्न मुद्दों पर बातचीत के बीच में आपसे कहे कि आपको यह चीज मिलेगी, और जब आप इस तरह की कोई चीज कभी सुने न हों, तो इससे आप अवाक हो जाएंगे। आप समझ नहीं पाएंगे कि यह व्यक्ति कह क्या रहा है। और यही हुआ।"
यह पूछे जाने पर कि उन्होंने पुलिस में शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई, जिसे कि वह करा सकते हैं क्योंकि सेना पुलिस उनके पास थी, सेना प्रमुख ने कहा, "आप अपनी जगह सही हो सकते हैं कि मुझे उस व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज करानी चाहिए थी। लेकिन उस समय जिस तरीके से रिश्वत की पेशकश की गई थी, कुछ क्षण के लिए मैं समझ नहीं सका कि वह क्या कह रहा है। ऐसा कुछ नहीं था कि वह मेरे हाथ में रिश्वत दे रहा हो।"
सेना प्रमुख जनरल सिंह ने कहा, "वह मुझसे कह रहा था कि यदि आप इस फाइल को मंजूरी दे देते हैं तो आपको यह राशि मिल जाएगी, हर कोई लेता है, फिर आपको क्या समस्या है। इस तरीके से यह कहने का परोक्ष तरीका था। और इसी कारण उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सका।"
सेना प्रमुख ने कहा कि उन्होंने पूर्व अधिकारी को कहा कि वह उनके कक्ष से चला जाय और उन्होंने यह बात जाकर रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी को बताई।
इस वर्ष 31 मई को सेवानिवृत्त हो रहे सेना प्रमुख ने कहा, "मैं रक्षा मंत्री के पास गया और उनसे कहा कि यह स्थिति है। उन्होंने अपना माथा पीट लिया और मुझसे कहा कि हमें ऐसे लोगों को बाहर रखना चाहिए।"
बहरहाल, खुलासे के बाद रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने सेना प्रमुख के आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश दिए। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सितांशु कर ने आईएएनएस को बताया कि एंटनी ने सेना प्रमुख के दावे से सम्बंधित रपट देखने के बाद जांच के ये आदेश दिए।
सेना प्रमुख ने 'द हिंदू' को बताया है कि एक लॉबिस्ट ने उन्हें 600 घटिया किस्म के वाहनों की एक खेप खरीदने की मंजूरी देने के लिए 14 करोड़ रुपये रिश्वत की पेशकश की थी।
सेना प्रमुख ने कहा है, "जरा कल्पना कीजिए, ऐसे लोगों की इतनी हिम्मत हो गई है कि वे मेरे पास आते हैं और मुझसे कहते हैं कि यदि मैं इस सौदे को मंजूरी दे दूं तो वे मुझे 14 करोड़ रुपये देंगे। वह मुझे रिश्वत की पेशकश कर रहे थे।"
सिंह के इस खुलासे पर लगभग सभी राजनीतिक दलों ने सवाल उठाया है कि उन्होंने इस बारे में शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई। कांग्रेस पार्टी ने कहा कि वह इतने दिनों तक चुप क्यों बैठे रहे और उन्होंने शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, "यह वाकई में दुर्भाग्यपूर्ण है। यदि कोई व्यक्ति उनके पास आकर रिश्वत की पेशकश करता है तो एक सरकारी अधिकारी और सेना प्रमुख होने के नाते उन्हें एक प्राथमिकी दर्ज करानी चाहिए थी।"
भाजपा नेता वेंकैया नायडू ने कहा, "यह एक बहुत ही गम्भीर मामला है और इसलिए हम सरकार से चाहते हैं कि वह सामने आए और एक बयान दे। सेना प्रमुख ने कहा कि उन्होंने रक्षा मंत्री को मामले की जानकारी दे दी थी, यदि ऐसा हुआ है तो रक्षा मंत्री ने क्या कार्रवाई की.. इस मुद्दे पर सरकार ने आजतक क्या किया?"
लेकिन नायडू ने कहा, "मैं इस बात से सहमत हूं कि सेना प्रमुख को एक शिकायत दर्ज करानी चाहिए थी और सार्वजनिक रूप से इस तरह का कोई बयान देना किसी सेना प्रमुख के लिए असामान्य है।"
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता डी.राजा ने इस खुलासे के समय को लेकर सवाल खड़े किए हैं।
राजा ने कहा, "वह ये सारी बातें आज क्यों कह रहे हैं? वह इतने दिनों तक क्या कर रहे थे? कोई व्यक्ति किसी जनरल के पास कैसे पहुंचा और उसने उन्हें रिश्वत की पेशकश की। यदि वह अपने उम्र विवाद को लेकर सर्वोच्च न्यायालय जा सकते हैं, तो उन्होंने यह बात देश को क्यों नहीं बताई? ये सभी जायज प्रश्न हैं, जिनके जवाब जनरल को देने चाहिए।"
भाकपा के एक अन्य नेता गुरुदास दासगुप्ता ने कहा कि पार्टी को रक्षा सौदे में आर्थिक अनियमितताओं के बारे में जानकारी है, लेकिन कोई सबूत नहीं है। सेना प्रमुख के उम्र विवाद की ओर इशारा करते हुए दासगुप्ता ने कहा, "सेना प्रमुख ने यह खुलासा तब किया है, जब उनके साथ कुछ घटा है।"