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'राजोआना की फांसी पर रोक लगे'

28 मार्च 2012
 
न्यूयार्क |  मानवाधिकार संगठन, ह्युमन राईट्स वाच ने बुधवार को मांग की है कि आतंकवादी बलवंत सिंह राजोआना को फांसी पर नहीं लटकाया जाना चाहिए। संगठन की दक्षिण एशिया की निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने कहा, "मृत्युदंड हमेशा गलत है और भारत सरकार को चाहिए कि इस फांसी को तत्काल रोक दे।"

गांगुली ने कहा, "राजोआना को फांसी पर लटकाने से सिख समुदाय के सदस्यों और भारत राज्य के बीच अविश्वास ही बढ़ेगा।"

राजोआना, पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में अगस्त 2007 से ही मृत्युदंड का इंतजार कर रहा है। मंगलवार को चण्डीगढ़ की एक अदालत ने फांसी देने पर रोक लगाने सम्बंधी अनुरोध को अस्वीकार कर दिया और आदेश दिया कि शनिवार को फांसी दे दी जाए।

ज्ञात हो कि 31 अगस्त, 2005 को एक आत्मघाती हमलावर ने बेअंत सिंह और अन्य की चण्डीगढ़ में हत्या कर दी थी। राजोआना ने हत्या की साजिश में शामिल होने की बात स्वीकार की है। उसने खुद को दोषी ठहराए जाने तथा मृत्युदंड के खिलाफ अपील करने से इंकार कर दिया है। उसने कहा है कि उसे बेअंत सिंह की हत्या में लिप्त होने पर कोई खेद नहीं है।

देश में अंतिम फांसी धनंजय चटर्जी को दी गई थी। उसे एक बच्ची के साथ बलात्कार करने और उसकी हत्या करने का दोषी ठहराया गया था। उसे कोलकाता में अगस्त 2004 में फांसी पर लटकाया गया था। पंजाब में अंतिम फांसी 1989 में दी गई थी।

ह्युमन राईट्स वाच ने कहा है कि संगठन हर हाल में मृत्युदंड का विरोध करता है, क्योंकि यह स्वाभाविक रूप से एक अपरिवर्तनीय एवं अमानवीय सजा है।


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