31 मार्च 2012
पटियाला | पंजाब में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की सरकार में मंत्री पद की शपथ लेने के एक पखवाड़े बाद जगीर कौर को शुक्रवार को पांच साल कैद की सजा सुनाई गई और गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेज दिया गया। उन पर अप्रैल 2000 में हुई अपनी ही बेटी की हत्या की साजिश में संलिप्तता का आरोप है। अदालत ने हालांकि उन्हें हत्या के आरोप से बरी कर दिया। पंजाब की एकमात्र महिला मंत्री जगीर को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। जगीर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (षड्यंत्र), धारा 313 (महिला की सहमति के बगैर जबरन उसका गर्भपात कराने), धारा 344 (गलत तरीके से 10 दिन या इससे अधिक समय तक बंधक बनाए रखने) और धारा 365 (व्यक्ति को बंधक बनाने के उद्देश्य से गुपचुप तरीके से उसका अपहरण) के तहत दोषी ठहराया गया है।
बादल सरकार में ग्रामीण जलापूर्ति एवं स्वच्छता मामलों की मंत्री जगीर कौर को सीबीआई की विशेष अदालत ने पटियाला में यह सजा सुनाई। अदालत ने उन पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी किया। अदालत का आदेश आने के तुरंत बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
अदालत ने हालांकि सीबीआई द्वारा धारा 302 के तहत लगाए गए हत्या के आरोप से जगीर को बरी कर दिया।
तीन अन्य आरोपियों- दलविंदर सिंह, परमजीत सिंह और निशान सिंह को भी हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया है, लेकिन उन्हें हत्या के षड्यंत्र का दोषी पाया गया है। वहीं, हरमिंदर सिंह और सत्या देवी को अदालत ने सभी आरोपों से बरी कर दिया।
ज्ञात हो कि जगीर कौर की बेटी हरप्रीत कौर की 20 अप्रैल, 2000 को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी, जिसके बाद परिवार के सदस्यों ने जल्दबाजी में उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। उसके शव का पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया था।
हरप्रीत ने निचली जाति के युवक कमलजीत सिंह से गुपचुप विवाह कर लिया था, जिससे उसकी मां जगीर और परिवार के अन्य सदस्य नाराज थे।
सीबीआई ने वर्ष 2000 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय से निर्देश मिलने के बाद जगीर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। कमलजीत ने अपनी पत्नी हरप्रीत की हत्या का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय से मामले की जांच की गुहार लगाई थी। उसका आरोप था कि हरप्रीत मौत के वक्त छह माह की गर्भवती थी। उसकी हत्या उसकी मां के इशारे पर की गई।
सुनवाई के दौरान कई गवाह बयान से मुकर गए। स्वयं कमलजीत भी फरवरी 2010 में मुकर गया, लेकिन बाद में उसने अपना बयान बदल लिया।
अदालत में दाखिल आरोपपत्र में सीबीआई ने कहा था कि दलविंदर ने हरप्रीत के भोजन में जहर मिला दिया था। सीबीआई ने यह भी दावा किया था कि जगीर ने इस बारे में डॉक्टर से सलाह ली थी।
जगीर की गिनती बादल परिवार के करीबियों में होती है। उन्हें 14 मार्च को कैबिनेट मंत्री के रूप में मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक केमटी की पूर्व अध्यक्ष होने के कारण सिख धर्म से जुड़े मामलों पर भी उनकी अच्छी पकड़ है।