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2जी : 'चिदम्बरम ने अधिकारियों की सलाह खारिज की'

5 अप्रैल 2012

नई दिल्ली | सर्वोच्च न्यायालय में बुधवार को कहा गया कि तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने 2008 में 2जी दूरसंचार लाइसेंस की कीमत बढ़ाने की अधिकारियों की सलाह खारिज कर दी थी। सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) ने अदालत से कहा कि अधिकारियों ने कहा था कि 2जी लाइसेंस की या तो नीलामी होनी चाहिए, या इसकी कीमत में वृद्धि होनी चाहिए। इसे 2008 में 2001 की कीमत पर नहीं बेचा जाना चाहिए।

सीपीआईएल ने 2जी मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी और न्यायमूर्ति के.एस.पी. राधाकृष्णन की विशेष पीठ से कहा, "वित्त मंत्रालय के अधिकारी कहते रह गए कि आप 2001 की कीमत पर 2008 में स्पेक्ट्रम नहीं दे सकते।"

अदालत सीपीआईएल और जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में मांग की गई है कि 2जी स्पेक्ट्रम की कीमत तय करने में चिदम्बरम की भूमिका की जांच सीबीआई से अदालत की निगरानी में कराई जाए।

सीपीआईएल की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने न्यायालय को बताया कि चिदम्बरम एवं पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा को यह जानकारी थी कि कम्पनियां आवंटित स्पेक्ट्रम को बेचकर पैसा बनाएंगी।

सीपीआईएल ने अदालत से कहा कि दूरसंचार विभाग (डीओटी) की लाइसेंस शुल्क को 3.5 गुना बढ़ाने की सलाह को भी नजरंदाज कर दिया गया।

इस पर अदालत ने सीपीआईएल के वकील प्रशांत भूषण से वह दस्तावेज दिखाने के लिए कहा जिसमें डीओटी ने कीमत में 3.5 गुना वृद्धि करने की सलाह दी थी।

न्यायामूर्तियों ने सीबीआई को मामले की जांच की ताजा रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा। अदालत ने यह भी जानना चाहा कि मारीशस और आईल ऑफ मैन जैसे देशों में चल रही जांच में क्या प्रगति हुई।

सीबीआई के वकील के.के. वेणुगोपाल ने इसके लिए अदालत से तीन सप्ताह की मोहलत मांगी।

वेणुगोपाल ने कहा कि कई देशों को अनुरोध पत्र भेज दिया गया है, लेकिन इतना ही काफी नहीं होगा, जब तक इन देशों में एक दल नहीं भेजा जाए, वहां से जवाब नहीं मिलेगा।


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