13 अप्रैल 2012
वाशिंगटन | सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रमुख भारतीय कम्पनी, इंफोसिस पर वीजा धोखाधड़ी का आरोप कम्पनी के एक पूर्व कर्मचारी ने लगाया है।
कम्पनी के एक पूर्व कंसल्टेंट, जे पालमर ने कहा है कि इंफोसिस, भारतीय श्रमिकों को अवैध तरीके से अमेरिका लाती है और अक्सर वीजा नियमों को उल्लंघन करती है।
प्रमुख टीवी नेटवर्क, सीबीएस ने पालमर के हवाले से कहा है कि इंफोसिस जिस काम के लिए विदेशी श्रमिकों को यहां ला रही है, उस काम के लिए स्थानीय स्तर पर आईटी विशेषज्ञ आसानी से मिल सकते हैं।
इंफोसिस ने एक बयान में कहा है कि पालमर के "आरोप एक रोचक खबर तो बनाते हैं, लेकिन यह सच्चाई नहीं है।" यह बयान सीबीएस द्वारा प्रसारित किया गया है।
बयान में कहा गया है कि अलाबामा अदालत का कोई न्यायाधीश और जूरी पालमर के आरोपों पर इस गर्मी में आगे चलकर कोई अंतिम फैसला सुनाएगा।
पालमर ने सीबीएस से कहा है कि सबसे पहले इस तरफ उनका ध्यान आकर्षित करने वाला एक कर्मचारी ही था, जो कई बार भारत से अमेरिका आ चुका था।
पालमर ने उसके बाद इस बात का पता लगाना शुरू किया कि आखिर इंफोसिस बेंगलुरू स्थित अपने कॉरपोरेट मुख्यालय से अमेरिका में इतने कर्मचारियों को क्यों ला रहा है।
पालमर ने आरोप लगाया है कि उनकी टीम में शामिल भारतीय श्रमिकों को उसी पद पर नियुक्त किसी अमेरिकी श्रमिक से काफी कम भुगतान किया जाता था।
पालमर ने कहा कि जब अमेरिकी विदेश विभाग ने एच-1बी वीजा की संख्या सीमिति करनी शुरू की तो इंफोसिस ने बी-1 वीजा का इस्तेमाल शुरू किया।
बी-1 वीजा उन कर्मचारियों के लिए होता है, जो अपने साथियों के साथ परामर्श करने, प्रशिक्षण या सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए यात्रा करते हैं। लेकिन पालमर ने कहा है कि इस वीजा के जरिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण के लिए नहीं, बल्कि पूर्णकालिक नौकरी के लिए लाया गया है।